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जीएसवीएम में रैगिंग से परेशान जूनियर डॉक्टर ने दी जान देने की धमकी

locationकानपुरPublished: May 21, 2019 01:08:24 pm

बोला, सीनियर भूखा रखकर दिन रात जगाए रखते हैं,एक छात्र को सोने के लिए रेलवे की डारमेट्री जा पहुंचा

GSVM

जीएसवीएम में रैगिंग से परेशान जूनियर डॉक्टर ने दी जान देने की धमकी

कानपुर। मेडिकल कॉलेज में सीनियरों की रैगिंग से तंग आकर एक जूनियर डॉक्टर ने आत्महत्या की धमकी दे डाली। बोला अब वह यहां नहीं पढ़ सकता और अगर उस पर पढ़ाई का जोर डाला गया तो वह हॉस्टल की छत से कूदकर जान दे देगा। पीडि़त जूनियर डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य के सामने बताया कि सीनियर न तो उसे सोने देते हैं और भूखा भी रखते हैं। उसकी हालत तो जेल के कैदियों से भी बदतर हो गई है। पीडि़त ने रैगिंग से तंग आकर इस्तीफा दे दिया पर अभी उसे स्वीकार नहीं किया गया है।
पिता के साथ प्राचार्य से शिकायत करने पहुंचा
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में रैगिंग से तंग सर्जरी विभाग के जूनियर डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया है। उसे 15 दिन के अवकाश पर भेज दिया गया है। जूनियर डॉक्टर अविनाश यादव ने दो मई को एमएस जनरल सर्जरी में दाखिला लिया है। छात्र और उसके पिता ने प्राचार्य के सामने दर्द बयां किया। पिता रामवृक्ष यादव का आरोप है कि अविनाश चार-पांच दिनों से गुमसुम है। वह इस्तीफा देने और पांच लाख रुपए बांड भरने के लिए कह रहा है। उससे वजह पूछी तो बोला-यहां नहीं पढ़ सकता। अगर उस पर पढ़ाई का जोर डाला गया तो पीजी हॉस्टल की छत से कूदकर जान दे देगा।
फूट पड़ा छात्र का दर्द
पीडि़त छात्र अविनाश यादव ने बताया कि उसे और १४ अन्य छात्रों को सीनियरों एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया और खिड़की भी बंद कर दी। जिससे उनका दम घुट रहा था। उन्हें सीनियरों ने 21 घंटे तक जगाए रखा और दो रात भूखा रखा। अगर बाहर से खाना मंगाते थे तो डांट पड़ती थी। छात्र बोला इस तरह कैसे पढ़ पाएंगे? खड़े रहने से पैरों में सूजन आ गई। छात्र अविनाश के पिता ने कहा कि सीनियर तो हॉस्टल में कपड़ा भी नहीं उतारने देते थे। चार दिन एक ही एप्रेन पहननने और जींस शर्ट एप्रेन पहनकर सोने के लिए कहते थे। ठंडा पानी भी नहीं पीने देते थे। अविनाश ने कहा कि वह खौफ में हॉस्टल नहीं जा रहे हैं। एक छात्र तो सोने के लिए रेलवे के डारमेट्री में जा पहुंचा। उसने बताया कि सीनियर सोने नहीं देते हैं।
सीनियरों साफ मुकर गए
शिकायत के बाद प्राचार्य प्रो. आरती लालचंदानी ने सर्जरी विभाग के जूनियर डॉक्टरों के सीनियर बैच को तलब कर पूछताछ की और पीडि़त से आरोपित छात्रों का आमना-सामना कराया। इस पर सीनियरों ने उत्पीडऩ की घटना से साफ इनकार कर दिया। इस मामले पर प्रो. लालचंदानी का कहना है कि छात्र परेशान है, उससे काम अधिक लिया गया है। रैगिंग जैसी कोई बात नहीं है। फिलहाल उसे 15 दिन आराम करने के लिए कहा गया है। अगर छात्र को किसी तरह की परेशानी है तो वह खुद उसे अपने घर पर रखेंगी। प्रॉक्टर की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की गई है। जल्द ही बयान दर्ज किए जाएंगे।
पीजी छात्रों से लिया जाएगा हलफनामा
एमडी और एमएस छात्रों के एडमिशन प्रक्रिया पूरी होने और छात्रों के उत्पीडऩ की घटना के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नए सिरे से तैयारी की है। सभी सीनियर पीजी छात्रों से हलफनामा लिया जाएगा। बीते वर्ष आर्थोपेडिक सर्जरी और सर्जरी विभाग में रैगिंग की शिकायतें आई थीं। कुछ छात्रों ने पुलिस को भी तहरीर दी थी। एक सीनियर प्रोफेसर का कहना है कि सीनियरों की हर वर्ष इस तरह की हरकत सामने आ रही है यह गम्भीर घटना है। पूर्व में कुछ छात्रों ने इस्तीफा भी दिया है। प्रोफेसर का कहना है कि आल इंडिया कोटे से आने वाले छात्रों का उत्पीडऩ अधिक होता है ऐसे में वह छोड़कर चले जाते हैं। शपथ पत्र लेने के बाद छात्रों पर कार्रवाई सुनिश्चित हो सकेगी।
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