20 नवंबर 2016 को कानपुर देहात पुखरायां कस्बे के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में करीब 150 लोगों की जान चली गई थी। रेलमंत्री ने प्रथम दृष्टता हादसे के पीछे पटरी चटकी होना बताकर कुछ अफसरों के ट्रांसफर कर इतिश्री कर ली। लेकिन जब एनआईए के साथ ही यूपी एटीएस ने पड़ताल की तो जो सच्चाई सामने आई उससे देश में हड़कंप मच गया। पांच माह तक एनआईए की टीमें पुखरायां और कानपुर नगर के इलाकों की खाक छानती रहीं। इस दौरान नेपाल में आईएसआई का गुर्गा शमसुद्दीन पकड़ा गया तो ये खुलासा हुआ कि भारत की लाइफ लाइन पर पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी की नजर है। इसके बाद कई संदिग्ध पकड़े गए और पुखरायां रेल हादसा दुर्घटना के बजाय आतंकी साजिश निकली।
28 दिसबंर 2016 की सुबह कानपुर के पास रूरा रेलवे स्टेशन के नजदीक सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, इसमें सौ से ज्यादा यात्री घायल हुए थे। रेलवे के अधिकारियों ने हादसे के बाद जांच पड़ताल की, लेकिन हादसे के पीछे कौन जिम्मेदार था इसका आज तक किसी को पता नहीं चला। हलांकि यूपी एटीएस ने इस हादसे के बाद जब जांच की तो रेल पटरी काटे जाने की बात निकल कर सामने आई। एटीएस ने रूरा ट्रेन हादसे के बाद कुछ लोगों को अरेस्ट किया था। रेलवे से रिटायर्ड जीएम अशोक वर्मा कहते हैं कि आजादी के 70 साल पूरे हो गए, लेकिन रेलवे अभी भी अपने पुराने ढर्रे पर दौड़ रही है। पीएम सुपरफास्ट ट्रेनों को चलाने की बात कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में आज के वक्त इन ट्रैकों पर शताब्दी भी उतनी स्पीड से नहीं दौड़ रही है, जितनी उसे दौड़नी चाहिए।
देश भर में करीब 9600 यात्री ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इन ट्रेनों में तीन साल पहले बफर कपलर लगाने का फैसला लिया गया था। अभी तक राजधानी के साथ ही लाल रंग की चलने वाली करीब पांस सौ ट्रेनों में सीबीसी कपलर लगाए गए हैं, बाकि में मैनुअल कपलर काम रह रहे हैं। सीबीसी लगने के बाद यदि कोई रेल हादसा होता है तो कोच बेपटरी तो हो जाते हैं, लेकिन ट्रेन के डिब्बे न तो अलग होते हैं और न ही वे एक-दूसरे पर चढ़ते हैं। इसकी वजह से हादसे में मौतें होने की संभावना न के बराबर होती है। इसके बावजूद रेलेवे सुरक्षा के लिहाज से लिए गए फैसले पर पता नहीं किस वजह से अमल करने में लापरवाही बरत रहा है, जबकि इस चूक से एक के बाद एक हादसे हो रहे हैं। बता दें, उन्नाव के पास ट्रेन पटरी से उतर गई थी, लेकिन कोचों में सीबीसी कपलर लगा होने से कोच एक दूसरे पर नहीं चढ़े थे।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु की जीरो एक्सीडेंट की पॉलिसी उस समय बेमतलब साबित हो गई, जब एक बार फिर मुजफ्फनगर के पास खतौली में ट्रेन नंबर 18477 पुरी-उत्कल एक्सप्रेस के 10 डिब्बे पटरी से उतर गए। यह हादसा इतना भयानक है कि लोगों के लिए इस को भुला पाना संभव नहीं होगा। इस एक्सीडेंट के सही कारणों का पता तब भी चलेगा, जब रेलवे कमिश्नर सेफ्टी अपनी जांच पूरी करेगा। बहरहाल जो भी हो इस हादसे ने बुलेट ट्रेन की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले रेल मंत्री सुरेश प्रभु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोलपट्टी खोल कर रख दी है। इस हादसे में यह साबित कर दिया है कि सेफ्टी के मामले में रेलवे पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुआ है।