फिर से रौद्र रूप में यमुना
दो दिन रौद्र रूप दिखाने के बाद मंगलवार को यमुना तो कुछ शांत हुई है, लेकिन गुरूवार को हुई बारिश के चलते उसका जल स्तर खतरे के निशान के पास पहुंच गया। कुछ गांवों व खेतों में पानी घुस गया है। प्रशासन ने गांव खाली कराने के निर्देश दिए हैं।यमुना नदी के तटवर्ती इलाकों में बचाव टीमें लगी हुई हैं। एसटीएम घाटमपुर बाढ़ क्षेत्रों का दौरा कर ग्रामीणों को राहत समाग्री का वितरण किया तो वहीं मंत्री कमलरानी वरूण ने भी गांवों का दौरा कर किसानों को उनकी बर्बाद फसल का मुआवजा दिलाए जाने की बात कही।
फिर उफान पर पांडु नदी
बारिश के चलते इस वर्ष फिर से पांडु नदी उफान पर है। नदी के किनारे रहने वाले हजारों परिवार साल भर बाद फिर बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हैं। पिछले साल जब बाढ़ ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो कई गांव समेत शहरी इलाकों के सैकड़ो घर जलमग्न हो गए। लाखों रुपये की फसल चैपट हो गई थी। मेहरबान सिंह का पुरवा, मर्दनपुर, पनकी, भाऊ सिंह पनकी, बर्रा आठ, पनका बहादुर नगर, माया नगर, छीतेपुर, बनपुरवा समेत कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। जहां राहत और बचाव कार्य के लिए टीम जुटी हुई हैं।
इसके चलते खड़ा हुआ संकट
मेहरबान सिंह का पुरवा निवासी बलवन्त सिंह ने बताया कि कब्जों में फंसी पांडु नदी को निजात दिलाने को जिला प्रशासन की अगुवाई में केडीए, सिंचाई विभाग और नगर निगम की कमेटी बनी थी। कब्जे सवा सौ चिह्नित हुए, लेकिन हटे आज तक नहीं है। यहां इमारतें खड़ी हो गई है। दर्जनों पक्के निर्माण पांडु नदी की गोद में बन गए है। इसके चलते पानी का बहाव धीमा हो गया है। केडीए ने न्यू ट्रांसपोर्ट नगर योजना की तरफ पांडु नदी के किनारे बाउंड्रीवाल बना दी है। इससे निकासी बंद हो गई है।
सबकुछ बर्बाद हो गया
बलवन्त यादव बताते हैं कि बारिश के चलते नदी में आई बाढ़ ने सैकड़ों एकड़ फसल को पूरी तरह से चैपट कर दिया है। अब बच्चों को शिक्षा तो दूर दो रोटी के लाले पड़े हैं। घाटमपुर के किसान रामपाल कहते हैं कि बैंक के पैसे लेकर धान के साथ उड़द और मूंग की फसल की बोवनी की थी, लेकिन पानी के कहर से पूरी फसल चैपट हो गई है। लेखपाल गांव आए थे और खेत में जाकर मुवायना किया था और मुआवजे की बात कही थी।
कुछ इस तरह से बोले जिम्मेदार
एसडीएम सदर हिमांशु गुप्ता के मुताबिक जिला प्रशासन बाढ़ को लेकर सर्तक है। राहत शिविरों को चालू कर दिया गया है। कब्जों को लेकर केडीए और सिंचाई विभाग को पहले ही पत्र दिया जा चुका है। पानी कम होने पर फिर से निरीक्षण कराया जाएगा। घाटमपुर एसडीएम के मुताबिक पानी कुछ कम हो गया है। बाढ़ चैकियां अलर्ट पर हैं। क्षेत्र की निरंतर चेकिंग की जा रही है। अस्थाई रूप से नदी किनारे रहने वालों को आश्रय स्थलों में रहने के लिए कहा गया है। साथ फसल बर्बादी का उचित मुबावजा किसानों को मिलेगा।
इस तरह से बोले कृषि वैज्ञानिक
सीएसए के वैज्ञानिक डॉक्टर खान ने बताया कि पिछले महीने में मानसून कम सक्रिय रहा है लेकिन सितंबर के आखिर में तेजी आ गई है। उन्होंने बताया कि यह बारिश देर में लगाए गए धान को छोड़कर बाकी सभी फसलों के लिए नुकसानदेह है। उड़द और मूंग को भी नुकसान होगा। जिन फसलों में दाने आ गए हैं, उनके लिए यह फायदेमंद नहीं है। दाने अंकुरित हो सकते है। डाॅक्टर खान ने किसानों को सलाह दी है कि धान के खेत में भरे पानी को किसी तरह से निकालें।