देहरादून से आकर कानपुर को चुना-
1932 में जन्मे ईश्वरचंद्र गुप्त मूल रूप से देहरादून के रहने वाले थे। ईश्वरचंद्र 1992 से 1998 तक भाजपा से राज्यसभा सदस्य रहे। ईश्वरचंद गुप्त ने कानपुर में संघ की अधारशिला रखी थी। वे जब कक्षा चार में थे, तब संघ से जुड़ गए और कई कार्यक्रमों में भाग लिया। अंग्रेजों के खिलाफ गुप्त ने आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। इनके मित्र अजय चौरसिया बताते हैं कि ईश्वरचंद्र गुप्त कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ थे। जब पाकिस्तान नया देश बन रहा था, तब इन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। आपातकाल के दौरान ईश्वरचंद जेल भी गए। अजय चौरसिया ने बताया कि अस्वस्थ होने के कारण डेढ़ साल पहले ही उन्होंने क्षेत्र संघ चालक का पद छोड़ा था। उनके निधन की सूचना मिलते ही भाजपा और संघ के साथ-साथ उद्योग जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके तिलक नगर स्थित आवास पर उन्हें श्रृद्धांजलि देने के लिए भारी भीड़ जुटने लगी हैं।
1932 में जन्मे ईश्वरचंद्र गुप्त मूल रूप से देहरादून के रहने वाले थे। ईश्वरचंद्र 1992 से 1998 तक भाजपा से राज्यसभा सदस्य रहे। ईश्वरचंद गुप्त ने कानपुर में संघ की अधारशिला रखी थी। वे जब कक्षा चार में थे, तब संघ से जुड़ गए और कई कार्यक्रमों में भाग लिया। अंग्रेजों के खिलाफ गुप्त ने आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। इनके मित्र अजय चौरसिया बताते हैं कि ईश्वरचंद्र गुप्त कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ थे। जब पाकिस्तान नया देश बन रहा था, तब इन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। आपातकाल के दौरान ईश्वरचंद जेल भी गए। अजय चौरसिया ने बताया कि अस्वस्थ होने के कारण डेढ़ साल पहले ही उन्होंने क्षेत्र संघ चालक का पद छोड़ा था। उनके निधन की सूचना मिलते ही भाजपा और संघ के साथ-साथ उद्योग जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके तिलक नगर स्थित आवास पर उन्हें श्रृद्धांजलि देने के लिए भारी भीड़ जुटने लगी हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सादगी के थे कायल-
ईश्वरचंद्र गुप्त का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गरहा नाता रहा है। उनकी पहली से मुलाकात सन् 1971 में हुई थी। राज्यपाल यहां रहते हुए अक्सर घर आते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद भी कोविंद जी अपने पहले कानपुर दौरे पर उनके घर पहुंचे थे। राष्ट्रपति ने 15 सितंबर को कानपुर के ईश्वरीगंज से स्वच्छता ही सेवा का आगाज किया था। इस कार्यक्रम के बाद वह ईश्वरचंद्र गुप्त का हाल जानने वो उनके तिलकनगर आवास गए थे। करीब एक घंटे तक राष्ट्रपति ने उनके साथ बंद कमरे में गुफ्तगू की थी। चौरसिया बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 80 के दशक में जब भी संघ की बैठक में शामिल होने के लिए शहर आते तो गुप्त जी से मिलने जरूर जाते थे। 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी ईश्वरचंद से मिलने के लिए आए थे और एक घंटे तक इनके साथ बैठकर राजनीति पर चर्चा की थी।
ईश्वरचंद्र गुप्त का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गरहा नाता रहा है। उनकी पहली से मुलाकात सन् 1971 में हुई थी। राज्यपाल यहां रहते हुए अक्सर घर आते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद भी कोविंद जी अपने पहले कानपुर दौरे पर उनके घर पहुंचे थे। राष्ट्रपति ने 15 सितंबर को कानपुर के ईश्वरीगंज से स्वच्छता ही सेवा का आगाज किया था। इस कार्यक्रम के बाद वह ईश्वरचंद्र गुप्त का हाल जानने वो उनके तिलकनगर आवास गए थे। करीब एक घंटे तक राष्ट्रपति ने उनके साथ बंद कमरे में गुफ्तगू की थी। चौरसिया बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 80 के दशक में जब भी संघ की बैठक में शामिल होने के लिए शहर आते तो गुप्त जी से मिलने जरूर जाते थे। 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी ईश्वरचंद से मिलने के लिए आए थे और एक घंटे तक इनके साथ बैठकर राजनीति पर चर्चा की थी।
आ सकते हैं राष्ट्रपति
ईश्वरचंद्र की मौत की जानकारी देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को मिल चुकी है। ईश्वरचंद्र के बेटे विनीत गुप्त ने बताया कि महामहिम का फोन आया था। महामहिम ने उन्हें श्रृद्धांजलि दी थी। वहीं लोगों का कहना है कि अपने प्रिय मित्र की मौत की जानकारी पर राष्ट्रपति आज या कल कानपुर आ सकते हैं। वहीं राष्ट्रपति के परिवार से उनकी बहन के बेटे गुप्त जी के घर श्रृद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। कई भाजपा नेता निकाय चुनाव के दौरान व्यस्थ होने के बाद भी घर आ रहे हैं। संघ के भी कई पदाधिकारी गुप्त जी के मकान पर मौजूद हैं।
ईश्वरचंद्र की मौत की जानकारी देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को मिल चुकी है। ईश्वरचंद्र के बेटे विनीत गुप्त ने बताया कि महामहिम का फोन आया था। महामहिम ने उन्हें श्रृद्धांजलि दी थी। वहीं लोगों का कहना है कि अपने प्रिय मित्र की मौत की जानकारी पर राष्ट्रपति आज या कल कानपुर आ सकते हैं। वहीं राष्ट्रपति के परिवार से उनकी बहन के बेटे गुप्त जी के घर श्रृद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। कई भाजपा नेता निकाय चुनाव के दौरान व्यस्थ होने के बाद भी घर आ रहे हैं। संघ के भी कई पदाधिकारी गुप्त जी के मकान पर मौजूद हैं।