पैथालॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर महेंद्र सिंह के मुताबिक पान मसाला खाने के आदी हो चुके लोगों की रक्त कोशिकाओं में या तो नए सेल्स बनाने की क्षमता खत्म हो गई है या फिर सुस्त पड़ चुकी है। ऐसे मरीजों को बोन मैरो डिपे्रशन की बीमारी के साथ साथ पैनसाइटोपीनिया की बीमारी भी हो रही है। इस तरह की बीमारी में खून के सभी अवयव असंतुलित हो जाते हैं।
रिसर्च में यह बात भी पता चली है कि पान मसाले के आदी हो चुके ये लोग कभी भी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। क्योंकि पान मसाले के घातक केमिकल से विटामिन बी-१२, फोलिक एसिड का अवशोषण भी प्रभावित हो रहा है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि लंबे समय से पान मसाला खा रहे ८० प्रतिशत लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इन लोगों में ऑटो इम्यून बीमारी का खतरा हमेशा बना रहता है। जिसका पता समय पर नहीं चल पाता और जब तक इसकी जानकारी होती है तब तक देर हो चुकी होती है।
जांच के दौरान डॉक्टरों ने देखा कि पान मसाला खाने वालों में ७ प्रतिशत से कम हीमोग्लोबिन था, जबकि यह कम से कम १२.५ प्रतिशत के पार होना चाहिए। आरबीसी की संख्या भी एक से दो लाख के बीच ही थी, जबकि यह भी पांच लाख के आसपास होनी चाहिए। डब्ल्यूबीसी की संख्या तो काफी कम थी जो १५०० से ३००० के बीच मिली जबकि यह ११००० के आसपास होनी चाहिए।