हर महीने की 5 तारीख को राशन वितरण किया जाता है. कोटेदार को राशन गोदामों से हर महीने कोटे के मुताबिक राशन मिलता है. एक बोरी गेंहू और चावल की बोरी में नियम के अनुसार 50 किलो राशन होता है, लेकिन कोटेदारों को प्रति कुंतल 5 किलो ज्यादा राशन के पैसे देने पड़ते हैं. ऐसे में कोटेदार इस नुकसान को पूरा करने के लिए राशन वितरण में खेल करता है, जिससे लाभार्थी को पूरा राशन नहीं मिल पाता है.
आपूर्ति विभाग में कार्यरत एक कर्मचारी ने बताया कि इस कमीशनबाजी के खेल की जानकारी ऊपर तक पहुंचा दी गई है. राशन घोटाले की जांच में आपूर्ति विभाग के कई सप्लाई इंस्पेक्टर और अधिकारी एसटीएफ के राडार पर आ गए हैं. ऐसे में सप्लाई इंस्पेक्टर जांच में कोई भी सहयोग नहीं कर रहे हैं.
वहीं यूआईडीएआई ने भी घोटाले में पकड़े गए 17 आधार कार्डों की जानकारी देने से मना कर दिया है. ऐसे में पुलिस की जांच अब और मुश्किल हो गई है. वहीं मामले में अभी तक कानपुर से न तो किसी कोटेदार से रिकवरी की गई और न ही कोई कोटेदार पुलिस के हाथ आया है.
आपूर्ति विभाग में खाद्यान्न वितरण में गड़बड़ी का यह कोई नया मामला नहीं है. अप्रैल-2012 में कलक्टरगंज थाना क्षेत्र में 200 कुंतल चावल पकड़ा गया था. जिसमें रातों रात चावल की जगह सिंघाड़ा भर दिया गया था. इसी प्रकार दूसरा मामला एक फरवरी 2018 में पोखरपुर स्थित लक्ष्मी मित्तल फूड में सामने आया था, जिसमें 652 बोरी गेंहू, 200 कुंतल सरकारी चावल पकड़ा गया था. मामलों में एफआईआर दर्ज कराई गई थी, लेकिन बाद में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. हाल ही में सरसौल में एक कोटेदार की दुकान पर डीएम ने छापेमारी कर कालाबाजारी पकड़ी थी लेकिन लेकिन विभाग ने उसके खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की.