रेलवे अधिकारियों की मानें तो दो सप्ताह पूर्व ही रूरा में एक गैंगमैन की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई थी. ट्रैक में काम करने वाले कई गैंगमैन, कीमैन, प्वाइंट मैन ऐसी दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं. रेलवे बोर्ड ने ट्रैक पर काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस उपकरण को तैयार करवाया है.
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक इस उपकरण को रेलवे के अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन लखनऊ ने तैयार किया है. पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ मंडल के छह स्टेशनों पर इस उपकरण का उपयोग शुरू कर दिया है. यह उपकरण उपयोगी भी साबित हुआ है. अधिकारियों के मुताबिक जल्द ही अन्य मंडल के अंतर्गत आने वाले स्टेशनों में भी यह उपकरण वितरण किया जाएगा.
एनईआर जोन के सीपीआरओ संजय यादव के मुताबिक यह उपकरण रेलवे लाइनों में कार्य करने वाले गैंगमैनों के हेड ‘मेठ’ को दिया जाएगा. यह उपकरण हैंड हेल्ड सेट ‘वाकी-टाकी’ की तरह होगा, जिसे मेठ अपने पास अनिवार्य रूप से रखेगा. सूत्रों के मुताबिक यह उपकरण सिग्नलिंग सिस्टम से सीधे जुड़ा रहेगा, जो स्टेशन मास्टर कार्यालय में लगे हुए ट्रांसमीटर से संचालित होगा. प्लेटफार्म पर खड़ी ट्रेन को जैसे ही आगे बढ़ने का ग्रीन सिग्नल मिलेगा. रेल लाइन पर उपस्थित ‘मेठ’ के पास मौजूद रक्षक उपकरण को संदेश मिल जाएगा.
रेलवे अधिकारियों मुताबिक वर्तमान में रेलवे ट्रैक पर काम करने वाले कर्मचारियों को सचेत करने के लिए हूटर प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है, जिस स्थान में ट्रैक मेंटीनेंस का काम चलता है. वहां पर गैंगमैनों का हेड एक हूटर लगाता है, जिसको बजाने के लिए एक कर्मचारी को वहीं पर तैनात किया जाता है. वह ट्रैक के दोनों ओर नजर रखता है और ट्रेन के दिखाई देते ही वह हूटर बजा कर कर्मचारियों को ट्रैक से हट जाने का अलर्ट जारी करता है.