दुकानों पर स्वाइप मशीन से पेमेंट न लेने की शिकायतें लोगों ने बड़ी संख्या में की. इस पर बाजार में पहुंचकर डिजिटल इंडिया की हकीकत जानने की कोशिश की गई. इस क्रम में एक ही मार्केट की करीब आधा दर्जन से अधिक बड़ी दुकानों पर स्वाइप मशीन के बारे में पूछा गया. इनमें से सिर्फ दो दुकानों पर ही दुकानदार स्वाइप मशीन से पेमेंट लेने को तैयार हुए. वहीं अन्य ने या तो नेटवर्क प्रॉब्लम का या फिर मशीन न होने का बहाना बता कर अपना पल्ला झाड़ लिया.
ऐसे में अहसास होता है कि डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा होने में अभी काफी समय लग सकता है. पीएनबी बैंक के अनिल कनौडिया के अनुसार सरकार के डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के बाद भी अभी भी सिर्फ 30 प्रतिशत ही कैशलेस पेमेंट मार्केट में होता है. उधर, 70 प्रतिशत तक दुकानदार कस्टमर से कैश पेमेंट ही लेना पसंद करते हैं. वहीं, दुकानदारों को स्वाइप मशीन(क्रश्चशह्य) देने के लिए बैंकों को भी कई तरह से पापड़ बेलने पड़ते हैं.
उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष डॉ. आरएन सिंह के अनुसार दुकानदार के डिजिटल पेमेंट लेने से मना करने के वैध और अवैध कारण हो सकते हैं. ऐसे में अगर किसी दुकानदार के पास स्वाइप मशीन नहीं है या नेटवर्क प्रॉब्लम के चलते वह इनकार करे तो वह वैध कारण माना जा सकता है. लेकिन, अगर वो मशीन पास में होने के बाद भी बिना किसी कारण कस्टमर को कैश पेमेंट के लिए बाध्य करे या सामान देने से इनकार करे तो यह उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है. ऐसी स्थिति में कस्टमर उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकता है.