दरअसल बीते समय कंपनी के संबंध में गड़बड़ी की शिकायत जीएसटी अफसरों को मिली थी। इसके चलते जीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर कमलेश कुमार, ज्वाइंट कमिश्नर राजेंद्र कुमार, डिप्टी कमिश्नर सुरेंद्र सिंह, मधुलिका सिंह असिस्टेंट कमिश्नर अजमत उल्ला के साथ वाणिज्य कर अधिकारी शैलेंद्र सिंह, भानू, उमेश पाल जैनपुर स्थित सरसों तेल की फैक्ट्री पहुंचे। यहां स्टाक रजिस्टर से भंडारण किए गये माल का मिलान कराया। कच्चे माल की खरीद संबंधी दस्तावेज मांगे गये, जिसे फैक्ट्री संचालक उपलब्ध नहीं करा सके। जीएसटी के एडिशनल कमिश्नर केपी वर्मा ने बताया कि जांच में फैक्ट्री संचालक द्वारा माल के क्रय विक्रय में गड़बड़ी मिली। क्रय किये जाने वाले माल की स्थित शून्य मिली।
माल बिक्री पर ईवे बिल नहीं काटा जा रहा था। जबकि 50 हजार रुपये कीमत से ज्यादा माल बिक्री पर ईवे बिल देना आवश्यक है। फैक्ट्री संचालक बिना ईवे बिल के माल बेच रहा था। साथ ही जीएसटीआर-1 व जीएसटीआर-3वी में भी मिलान नहीं हो रहा था। दोनों तरह के टैक्स में पहले माल बिक्री दर्शायी जाती है, फिर उसके आधार पर जीएसटी देनी होती है। दोनों में अंतर मिलने पर टैक्स चोरी का शक हुआ। इसके बाद टीम ने छापेमारी की। जहां माल संबंधी दस्तावेज न दिखा पाने पर करीब 20 लाख रुपये कीमत का माल सीज करते हुए उसके दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रपत्र प्रस्तुत न करने पर सीज किए गए माल के मूल्य का निर्धारण कर पेनाल्टी के साथ टैक्स वसूल किया जाएगा।