अब कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे गांव के चौकीदार
दरअसल मिलिट्री इंटेलीजेंस की लखनऊ यूनिट को यह सूचना मिली थी कि कोलकत्ता से रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप कानपुर लाइ जा रही है। इस सूचना के पर एसटीएफ ने बाबूपुरवा थाना पुलिस टीम के साथ मिलकर तस्करों को दबोचने का प्लान बनाया। सूचना थी कि, इंजेक्शन की खेप नौबस्ता खाड़ेपुर का रहने वाला मोहन सोनी रिसीव करेगा। फिल्मी अंदाज में एसटीएफ के दारोगा और सिपाही ग्राहक बनकर मोहन सोनी से इंजेक्शन लेने गए। इनके बीच डील तय हाे गई और इस तरह एसटीएफ व बाबूवुरवा पुलिस ने मोहन सोनी, सचिन कुमार और प्रशांत शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया।एसटीएफ गिरफ्तार तीनाे आराेपियाें को बाबूपुरवा कोतवाली ले गई थी। काेतवाली पुलिसकर्मियों ने उससे पूछताछ की थी। पूछताछ के बाद पुलिस ने इनके खिलाफ धोखाधड़ी, स्टॉक में हेराफेरी, महामारी अधिनियम, औषधि अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज किया था। शुक्रवार को तीनों को न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था जहां से इन्हे जे भेज दिया गया था। जेल पहुंचने के बाद जेल प्रशासन ने तीनाें का मेडिकल चेकअप कराया तो एक की रिपाेर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। प्रशांत शुक्ला नाम के आरोपी की रिपाेर्ट कोरोना पॉजिटिव आते ही बाबूपुरवा कोतवाली के पुलिसकर्मी दहशत में आ गए। इस घटना के बाद अब संपर्क में आने वाले सभी पुलिस कर्मियों का कोरोना टेस्ट कराया जा रहा है।
रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना के गंभीर राेगियाें काे दिया जाता है। कोरोना काल में इस इंजेक्शन काे जिंदगी देने वाला इंजेक्शन नाम भी मिला है। कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से इस इंजेक्शन की मार्केट में मांग बढ़ गई है। यही कारण है कि यह ब्लैक किया जा रहा है। इस इंजेक्शन की कीमत करीब 5400 रुपए है लेकिन ब्लैक मार्केटिंग करने वाले मुनाफाखोर इस इंजेक्शन को 20 से 50 हजार में बेचने की काेशिश कर रहे थे।