एचबीटीयू के विशेषज्ञों के अनुसार आज की भागमभाग जिंदगी में कामकाजी महिलाओं के पास समय का अभाव है। महानगरों में तो कई परिवार रात को भी ब्रेड, बड़ा पाव या फिर फास्ट फूड खाकर सो जाते हैं। ऐसे परिवारों के लिए रोटी बड़े काम की होगी। इसको खाकर सेहत भी नहीं खराब होगी।
मिलेगी नर्म रोटी एचबीटीयू के फूड टेक्नालॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि दो साल के शोध के बाद एमटेक के छात्रों ने रोटी को प्राकृतिक तरीके से सुरक्षित यानी प्रिजर्व करने के लिए इसमें गोंद जैसे कई तरह के गम्स मिलाए हैं। जो रोटी को प्रिजरवेटिव्स के साथ साथ मुलायम बनाए रखने का भी काम करेंगे। रोटी में मेथी दाना,बाजरा जैसे मल्टी ग्रेन आटे का इस्तेमाल किया गया है। यह न केवल सेहतमंद है बल्कि खाने में स्वादिस्ट भी है। इसके पहले कुछ कंपनियों ने भी रोटी बाजार में उतारी थी लेकिन, नमी कम होने के कारण यह रोटी जल्द ही सूखकर टूट जाती थी। इसलिए यह कामयाब नहीं हुई। लेकिन एचबीटीयू की रोटी में कुदरती गम्स मिले हैं जो इसको न केवल स्वादिष्ट बनाते हैं बल्कि इसे नर्म बनाने के साथ संरक्षित भी करते हैं।
जल्द शुरू होगा व्यावसायिक उत्पादन इस रोटी के व्यावसायिक उत्पादन के लिए ब्रेड बनाने वाली कंपनियों से बात चल रही है। जल्द ही इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसके बाद यह बिक्री के लिए बाजार में होगी।
यहां से मिली प्रेरणा एचबीटीयू के छात्रों ने बताया कि अमरीकी कंपनी माइक्रोजैप ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे ब्रेड में 60 दिनों तक फफूंद नहीं लगती। दो महीने तक ब्रेड ताज़ी बनी रहती है। इस तकनीक से इंसपायर होकर रोटी को संरक्षित करने की तकनीक पर काम किया गया। हालांकि, इस तकनीक में ब्रेड को अत्याधुनिक माइक्रोवेव में बनाया जाता है जिसमें फफूंद बनाने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। इस तकनीक से न सिर्फ ब्रेड बल्कि दूसरे खाद्य पदार्थ भी लंबे समय तक प्रिजर्व रखे जा सकते हैं। इस तकनीक में ब्रेड को प्लास्टिक रैपर में न लपेटकर विशेष तौर से तैयार रैपर में रखते हैं। इस तकनीक को टेक्सस टेक विश्वविद्यालय ने विकसित किया है।