आकांक्षा कटियार ने बताया कि बीते 24 फरवरी से लगातार दहशत का माहौल था। दूतावास द्वारा 15 फरवरी एडवाइजरी जारी होने के बाद भी मेडिकल कॉलेज में लगातार पढ़ाई जारी थी। अब्सेंट होने पर 10 डॉलर फाइन देना पड़ता था। जो हमारे लिए बड़ी रकम थी। 20 फरवरी को एक और एडवाइजरी जारी हुई। जिसके बाद उन्होंने अपनी टिकट बुक कराई। जो 2 मार्च को मिला। लेकिन तब तक हवाई यात्राएं बंद हो चुकी थी। 28 फरवरी को हॉस्टल के बंकर में रहने की जगह मिली। बमबारी के बीच ही 1 मार्च को रेलवे स्टेशन की तरफ निकल लिए। ट्रेन से लवीव और फिर लगभग 13 घंटे पैदल यात्रा करके पोलैंड बॉर्डर पहुंच गए। यहां पर भारतीय एंबेसी ने 4 मार्च को उन्हें दिल्ली भेजा।
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चौथे वर्ष का छात्र है राहुल कमलडेनिप्रो मेडिकल विश्वविद्यालय में 14 वर्ष के छात्र राहुल कमल ने बताया कि उनकी फ्लाइट 24 फरवरी को सुबह 9:30 बजे बोरस्पिल एयरपोर्ट से थी। लेकिन एयरपोर्ट को पहले ही बंद कर दिया गया और अंदर से यात्रियों को निकाला जा रहा था। उन्हें जानकारी दी गई कि फ्लाइट कैंसिल हो गई है। उन्होंने बताया कि बस से कीव पहुंचे। रोमानिया बॉर्डर पार करने में उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। 10 घंटे इंतजार के बाद रोमानिया बॉर्डर पार हो सके थे। रोमानिया से उन्हें 5 फरवरी को दिल्ली भेजा गया। बुरे सपने की तरह अपनी यात्रा को छात्र-छात्राएं भूलना चाहते हैं।