कानपुर

गिरते बम के बीच बंकर में रहकर बचाई जान, छात्र-छात्राओं ने सुनाई आपबीती

बुरे सपने की तरह यूक्रेन से आए छात्र छात्राएं अपने साथ घटी घटनाओं को भूल जाना चाहते हैं। यूक्रेन से लौटकर आए कानपुर की छात्र-छात्राओं ने बताया कि हवाई अड्डा पहुंचे तो फ्लाइट कैंसिल होने की जानकारी दी गई। फिर बस और घंटों पैदल चलने के बाद यूक्रेन बॉर्डर पार कर सके। एंबेसी द्वारा उन्हें राहत प्रदान की गई, तब भारत पहुंचे। छात्र-छात्राओं ने सुनाई रोंगटे खड़े कर देने वाली सच्चाई

कानपुरMar 07, 2022 / 09:01 pm

Narendra Awasthi

patrika

रूस यूक्रेन युद्ध के बाद एमबीबीएस की पढ़ाई भी चर्चा में है। भारत से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए यूक्रेन गए हुए थे। युद्ध शुरू होने के बाद यह सभी छात्र छात्राएं निकल नहीं पाए। अब जबकि भारत सरकार द्वारा मिशन गंगा चलाकर यूक्रेन में फंसे 20 हजार से ज्यादा छात्र छात्राओं को भारत लाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में यूक्रेन से वापस आए छात्र-छात्राओं ने वहां के नियम कानून बताएं। जो चौंकाने वाले हैं। इन्हीं में से एक है कानपुर बर्रा निवासी आकांक्षा कटियार। ललन कुमार कटियार की पुत्री आकांक्षा एमबीबीएस की प्रथम वर्ष की छात्रा है। जो यूक्रेन के खर्कीव मेडिकल विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही थी। जबकि पनकी के रहने वाले वीरेंद्र कमल का पुत्र राहुल कमल डेनिप्रो मेडिकल विश्वविद्यालय में चौथे वर्ष का छात्र है ने युद्ध ग्रस्त क्षेत्र यूक्रेन के विषय में जानकारी दें। जो भयभीत करने वाले हैं।

आकांक्षा कटियार ने बताया कि बीते 24 फरवरी से लगातार दहशत का माहौल था। दूतावास द्वारा 15 फरवरी एडवाइजरी जारी होने के बाद भी मेडिकल कॉलेज में लगातार पढ़ाई जारी थी। अब्सेंट होने पर 10 डॉलर फाइन देना पड़ता था। जो हमारे लिए बड़ी रकम थी। 20 फरवरी को एक और एडवाइजरी जारी हुई। जिसके बाद उन्होंने अपनी टिकट बुक कराई। जो 2 मार्च को मिला। लेकिन तब तक हवाई यात्राएं बंद हो चुकी थी। 28 फरवरी को हॉस्टल के बंकर में रहने की जगह मिली। बमबारी के बीच ही 1 मार्च को रेलवे स्टेशन की तरफ निकल लिए। ट्रेन से लवीव और फिर लगभग 13 घंटे पैदल यात्रा करके पोलैंड बॉर्डर पहुंच गए। यहां पर भारतीय एंबेसी ने 4 मार्च को उन्हें दिल्ली भेजा।

यह भी पढ़ें

फर्रुखाबाद में जहरीली शराब पीने से 3 की मौत मामले में बड़ा खुलासा, चौथे गिलास ने खोला राज

चौथे वर्ष का छात्र है राहुल कमल

डेनिप्रो मेडिकल विश्वविद्यालय में 14 वर्ष के छात्र राहुल कमल ने बताया कि उनकी फ्लाइट 24 फरवरी को सुबह 9:30 बजे बोरस्पिल एयरपोर्ट से थी। लेकिन एयरपोर्ट को पहले ही बंद कर दिया गया और अंदर से यात्रियों को निकाला जा रहा था। उन्हें जानकारी दी गई कि फ्लाइट कैंसिल हो गई है। उन्होंने बताया कि बस से कीव पहुंचे। रोमानिया बॉर्डर पार करने में उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। 10 घंटे इंतजार के बाद रोमानिया बॉर्डर पार हो सके थे। रोमानिया से उन्हें 5 फरवरी को दिल्ली भेजा गया। बुरे सपने की तरह अपनी यात्रा को छात्र-छात्राएं भूलना चाहते हैं।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.