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कोविड-१९: मोबाइल एप बताएगा कोरोना का मरीज किस-किस को बांट चुका है बीमारी

locationकानपुरPublished: Mar 30, 2020 03:37:08 pm

सीएसजेएमयू के छात्र ने कोरोना के संक्रमितों को खोजने के लिए बनाया रिवर्स एप ज्यादा से ज्यादा लोगों से की गई रिवर्स एप डाउनलोड करने की अपील

कोविड-१९: मोबाइल एप बताएगा कोरोना का मरीज किस-किस को बांट चुका है बीमारी

कोविड-१९: मोबाइल एप बताएगा कोरोना का मरीज किस-किस को बांट चुका है बीमारी

कानपुर। अब एक खास मोबाइल एप से पता चल सकता है कि एक कोरोना पीडि़त व्यक्ति कितने लोगों को संक्रमित कर चुका है या उसके संपर्क में आए कितने लोग संदिग्ध हैं। इसका नाम है रिवर्स एप और इसे बनाया है छत्रपति शाहूजी महाराज विवि के एक छात्र ने। इस एप के जरिए उन लोगों को ट्रेस करने में आसानी होगी, जो एक निश्चित समय में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रह चुके हैं। विवि के इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेल ने इनोवेशन चैलेंज फॉर ओवरकमकोरोना नाम से मुहिम शुरू की तो इसमें आइडिया भेज दिया।
बड़ी चुनौती होगी आसान
दुनिया भर में अब तक की सबसे भयानक महामारी बन चुके कोरोना की सबसे खतरनाक बात है इसका संक्रमण। एक कोरोना पीडि़त व्यक्ति को छह से आठ दिन में पता चलता है कि वह कोरोना का शिकार बन चुका है और इस दौरान वह कितने और लोगों को यह बीमारी बांट सकता है, इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल है। क्योंकि ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आया हर व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। ऐस में किसी में कोराना की पुष्टि होने के बाद उसके इलाज से बड़ी चुनौती होती है उसके द्वारा संक्रमित किए गए लोगों को खोज निकालना। क्योंकि बीमारी बांटने वाले को भी पता नहीं होता कि वह कहां-कहां और किस-किस को संक्रमित कर चुका है। ऐसे में यह एप बड़ा मददगार साबित हो सकता है।
सीएसजेएमयू ने की थी पहल
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय ने दुनिया में कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों को देखते हुए गंभीरता दिखाई और बचाव के लिए पहल शुरू की। विवि के इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेल द्वारा इनोवेशन चैलेंज फॉर ओवरकमिंग कोरोना मुहिम शुरू की है। इसके जरिए छात्र-छात्राओं को कोरोना से बचाव के लिए आइिडया शेयर करने का मौका दिया। विकास चौरसिया ने भी इसी में हिस्सा लिया है। वे बताते हैं कि 14 दिन से एप तैयार करने में लगे हुए थे।
रिवर्स ट्रैकिंग से मिलेगा कोरोना का नेटवर्क
बीएससी बायोटेक्नोलॉजी में तीसरे वर्ष के छात्र विकास चौरसिया बताते हैं कि उन्होंने मोबाइल एप बनाया है क्योंकि मोबाइल तकरीबन अब हर दूसरे व्यक्ति के पास रहता है। वह बताते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस का संक्रमण है और उसे यह बात चार से पांच दिनों बाद पता चलती है। इतने दिनों में यह व्यक्ति कितने लोगों से मिला, कितने संक्रमित हो गए, यह बात रिवर्स ट्रैकिंग एप से पता की जा सकेगी। उन्होंने अपना यह आइडिया विवि की आइटी विभाग की अध्यक्ष डॉ.राशि अग्रवाल को मेल किया है।
इस तरह करता काम
विकास बताते हैं कि रिवर्स एप के काम करने का तरीका बिल्कुल अलग है। यह एप जीपीएस और सेल्युलर नेटवर्किंग के आधार पर काम करता है। इसके लिए हर मोबाइल धारक को फोन में एप डाउनलोड करना होगा। इसके बाद यह एप ऑटोमेटिक काम करना शुरू कर देगा। आप कहां जा रहे हैं किससे मिल रहे हैं, सबका डाटा इस एप में ऑटोमिटक फीड होता जाएगा। यह डाटा एप के मेन सर्वर पर फिलहाल 15 दिन पिछला ही दर्शाएगा। इसमें खास बात यह है कि एप सिर्फ सपंर्क में आए उन्हीं लोगों की जानकारी देगा, जिनके मोबाइल पर भी यह एप मौजूद होगा। विकास कहते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलाने से रोकने के लिए देश के प्रत्येक नागरिक का दायित्व बनता है, ऐसे में हम एप को डाउनलोड करके महामारी के फैलाव को रोक सकते हैं।
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