चुनावी आंकड़े साफ-साफ बताते हैं कि भाजपा प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी किदवईनगर और गोविंदनगर से बड़ी लीड लेकर श्रीप्रकाश जायसवाल से आगे निकल गए। गोविंदनगर विधानसभा के लोगों ने सत्यदेव पचौरी को विधायक बनाया और फिर सांसद, जबकि यह क्षेत्र कांग्रेस के एक बड़े नेता का पहले गढ़ माना जाता रहा।
किदवईनगर का क्षेत्र कांग्रेस के एक बड़े नेता का गढ़ माना जाता रहा, पर इस बार उनकी चुनाव से दूरी भी कांग्रेस की हार की वजह बन गई। यहां के कांग्रेसी नेता अजय कपूर को पार्टी ने शहर से दूर बिहार भेज दिया, जिस वजह से किदवईनगर में पार्टी का प्रचार ढीला पड़ गया।
गोविंदनगर विधानसभा से बीते चुनावों में कांग्रेस को दो लाख से भी ज्यादा वोट मिलते रहे, जो इस बार सिमटकर एक लाख से भी कम रह गए। इस इलाके में श्रीप्रकाश अकेले ही जूझते रहे। न कोई जनसभा हुई और न ही कोई रोड शो। प्रियंका गांधी का रोड शो हुआ पर वह वीआईपी इलाकों तक ही सीमित रहा। दक्षिण पर ध्यान ही नहीं दिया गया।
कांग्रेस पर मुस्लिम वोट जमकर बरसे। सीसामऊ और कैंट विधानसभा इलाकों में मुस्लिमों ने खुलकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। दोनों विधानसभा इलाकों में श्रीप्रकाश को डेढ़ लाख से ज्यादा वोट मिले। इन सीटों पर कांग्रेस एक लाख की लीड चाहती थी पर जो केवल १७ हजार तक ही रह पाई।
इस बार के लोकसभा चुनाव में गुटबाजी पार्टी के प्रचार पर हावी रही। कई बड़े नेता इस बार टिकट चाहते थे और टिकट न मिलने पर वे केवल दिखावे पर ही प्रचार में रहे। श्रीप्रकाश जायसवाल अकेले पड़ गए। पार्टी के कई पदाधिकारी प्रचार के नाम पर केवल हवा पानी बदलते रहे। जनसंपर्क भी काफी ढीला रहा।