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बाबूजी के नाम को बेटे ने डुबोया, CBI ने विक्रम पर कसा शिकंजा

locationकानपुरPublished: May 22, 2018 12:35:18 am

Submitted by:

Vinod Nigam

कानपुर के जाने-माने कारोबारी विक्रम कोठारी पर सीबीआई ने कसा शिकंजा, सीबीआई की विषेश अदालत में दाखिल की आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट

कानपुर के जाने-माने कारोबारी विक्रम कोठारी पर सीबीआई ने कसा शिकंजा, सीबीआई की विषेश अदालत में दाखिल की आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट

किंग ऑफ रोटोमैक की बढ़ी मुसीबत, सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट

कानपुर। मनसुख भाई कोठारी के निधन के बाद उनके बेटों ने अपना-अपना कारोबार अगल-अगल कर लिया। विक्रम कोठारी ने रोटोमैक नामक कंपनी की नीव रखी और बैंकों से करोड़ों का रूपया लिया। विक्रम कोठारी के इस काम में उनके बटे दीपक ने भरपूर सहयोग दिया। बैंक अधिकारियों को कमीशन का लालच देकर करोड़ों रूपए का कर्जा ले लिया और फिर अपने आपको एमपीए घोषित कर पूरा पैसा डकार गए। लेकिन गुजराज के हीरा व्यापारी नीरव मोदी के कर्जे का राज जब सामने आया तो दिल्ली सरकार हरकत में आई और बैंक से कर्जा लिए कारोबारियों की कुंडली खंगाली। जिसमें कानपुर के जाने-माने उद्योगपति विक्रम कोठरी पर 36 अरब रूपए के कर्जे की बात निकल कर सामने आई। फरवरी 2018 में इनके काले कारनामें की पोल खुली जो पूरा शहर थू-थू करने लगा। जिस बाबू जी ने कनपुरियों के दिल में राज किया, उनके बेटे ने उसे पैसों की लालच में मटियामेट कर दिया। सीबीआई ने विक्रम कोठारी और उनके बेटे सहित आधा दर्जन बैंक अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें अरेस्ट कर लिया। सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा से 456 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में रोटोमैक कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम कोठारी और बैंक ऑफ बड़ौदा के तत्कालीन एजीएम, ब्रांच हेड, सीनियर मेनेजर समेत कई अधिकारियों को आरोपी बनाया है। सीबीआई ने यह चार्जशीट सीबीआई स्पेशल जज लखनऊ कोर्ट में दाखिल की है।
चार माह के बाद दाखिल हुई चार्जशीट
विक्रम कोठारी ने बैंकों से करीब 3695 करोड़ रुपए लोन लिए हैं, जिसे अभी तक लौटाया नहीं गया है। फरवरी 2017 में सीबीआई ने विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें कानपुर से गिरफ्तार करने के बाद सीबीआई की टीम दिल्ली ले गई और कईिइनों तक पूछताछ की। इस दौरान सीबीआई की टीमें कई दिनों तक कानपुर में ढेरा जमाए रहीं। रनिया स्थित रोटोमैक कंपनी में भी सीबीआई ने छापा मारा और वहां से गई दस्तावेज जब्त किए। सीबीआई के हाथ पुख्ता सबूत लगे हैं और के तहत एजेंसी ले कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। फिलहाल बाप-बेटे जेल में बंद हैं। जानकारों की मानें तो सीबीआई के पास आरोपियों को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मिल चुके हैं। चार्जशीट दाखिल होने के बाद कोठारी की कोठी में तिलकनगर में हलचल दिखी। कई चार पहिया वाहन आजे-जाते दिखे।
18 फरवरी को दर्ज हुई थी एफआईआर
सीबीआई ने विक्रम कोठारी पर पहला मामला 18 फरवरी 2018 को दर्ज किया। शुरुआत में आकलन था कि घोटाला करीब 800 करोड़ रुपये का है, लेकिन सीबीआई ने जब रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के खातों की जांच शुरू की तो यह खुलासा हुआ कि कंपनी ने कथित तौर पर बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से भी कर्ज लिया है. सीबीआई ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने सात बैंकों से 2,919 करोड़ रुपये की रकम कर्ज के रूप में लेकर धोखाधड़ी की है। ब्याज की रकम और देनदारियों को जोड़ कर कंपनी के लिये कुल बकाया रकम करीब 3,695 करोड़ रूपये बैठती है। वहीं चार्जशीट दाखिल होने के बाद बैंक के अधिकारी भी हरकत में आ गए हैं और 30 जून तक कानपुर के साथ ही देहरादून स्थित फैक्ट्री की निलामी करवा सकते हैं। यह नीलामी बैंक ऑफ बड़ौदा के जरिए हो सकती है।
फरवरी में पिता-पुत्र की हुई थी गिरफ्तारी
बैंकों से 3700 करोड़ के गबन के आरोप में रोटोमैक पेन कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी और उसके बेटे राहुल कोठारी को सीबीआई ने फरवरी में गिरफ्तार कर लिया था। ये दोनों रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं, जो कानपुर में है। सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ोदा की शिकायत के आधार पर सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। जांच एजेंसी ने इस मामले में सबूत जुटाने के लिए उन्नाव और कानपुर सहित उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर छापे भी मारे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्राथमिक जांच के अनुसार, ऋण की राशि का इच्छित उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया गया। प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन की रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत रोटोमैक कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ 18 फरवरी को आपराधिक आरोप लगाए. यह आरोप, सीबीआई द्वारा उसी दिन दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर लगाए गए।
पांच सौ से शुरू किया था कारोबार
25 जुलाई 1925 को गुजरात के सुरेंद्र नगर जिले के नरैली गांव में जन्मे मनसुख भाई कोठारी 16 साल की उम्र में कानपुर आए और सिर्फ 500 रुपये की पूंजी के साथ कारोबार की शुरुआत की। बाबूजी के नाम से मशहूर मनसुख भाई कोठारी ने कानपुर में पान पराग की नींव रखने से पहले मजदूरी भी की थी। बाद में 500 रुपये की पूंजी के साथ कारोबार की शुरुआत की और धीरे-धीरे अरबों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। पान का विकल्प देने की नई सोच के साथ उन्होंने 18 अगस्त 1973 में पान पराग पान मसाला की नींव रखी थी। 1983 में कोठारी प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई। उन्हानें 1985 में डिब्बे में बिकने वाले पान मसाला को पाउच में पेश करके क्रांति ला दी थी।
राजीव गांधी ने दिया था पुरूस्कार
बाबूजी को 1987 में पान पराग के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया था। तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने उन्हें राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार भी दिया था। मौजूदा समय में पान मसाला के अलावा रियल इस्टेट, मिनरल वाटर, विंड एनर्जी, ऑयल इंडस्ट्री के अलावा नोएडा में कोठारी इंटरनेशनल स्कूल भी है। पान पराग के उस विज्ञापन को आज तक कोई नहीं भूल पाया है जो शम्मी कपूर और अशोक कुमार पर फिल्माया गया था। इस विज्ञापन का एक वाक्य ‘बारातियों का स्वागत पान पराग से कीजिएगा’ हर व्यक्ति की जुबान पर रहता था। इस विज्ञापन ने पान पराग ब्रांड को घर-घर तक न केवल पहचान दिलाई बल्कि इसे दुनिया भर में मशहूर कर दिया। 1983 से 87 तक पान पराग टीवी पर सबसे बड़ा एकल विज्ञापनदाता था।

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