फिर भी उन्होंने खास रणनीति बनाए जाने के बजाय बवाल को रोकने के लिए निकले समाजसेवियों और भाजपा पार्षद पर लाठियां चलवा दीं। पुलिस की पिटाई से घायल रावतुपर से भाजपा पार्षद रमोअवतार प्रजापति ने बताया कि हम तो पत्थर चला रही पब्लिक को रोकने के लिए घर से निकले। पुलिसवालों ने हमें पकड़ लिया और जमकर पिटाई कर दी। हमने कल्याणपुर सीओ से बचाने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने भी हमें जबरन जीप में ठूंसकर थाने भिजवा दिया। पार्षद के मुताबिक ऐसे कई लोग हैं जो दंगा रोकने के लिए बाहर निकले और पुलिस का शिकार बनें।
2000 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर कानपुर में दशहरे के दिन से शुरू हुई संप्रदायिक हिंसा ने कई लोगों की रोटी-रोजी छीन ली। तीन से परमपुरवा, रावतपुर गांव, रामलला सहित कई इलाकों में पुलिस-प्रशासन ने लोगों को घरों के अंदर कैद कर दिया है। 2000 हजार से ज्यादा लोगों के साथ ही 69 नामदज बवालियों के खिलाफ मामला दर्ज कर पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए दविश दे रही है। भाजपा पार्षद रामअवतार ने रावतपुर गांव में हुई संप्रदायिक झड़प के पीछे सीधे पूलिस को दोषी बता रहे हैं। पार्षद के मुताबिक दहशरा के दिन कुछ लोगों ने महौल बिगाड़ना चाहा, जिसे हमने पुलिस के साथ मिलकर शांत करा दिया। रविवार को गलत जानकारी पर पुलिस ने भाजपा व बजरंगदल के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज कर दिया, जो बाद में हिंसक रूप धारण कर लिया। रावतपुर की घटना में तो पुलिस और पब्लिक के बीच ही झगड़ा हुआ, जिसे निपटाने के लिए हम बाहर आए तो पुलिस ने हमें पीट दिया।
राम-लक्ष्मण को भी पुलिस ने नहीं बख्शा रावतपुर में पथराव के बाद लाठीचार्ज का आदेश मिलते ही पुलिसकर्मियों ने लाठियां भांजना शुरू कर दिया। बाहर हो रहे हो-हल्ला को नजरअंदाज कर रामलीला कलाकार कॉलेज परिसर में बने एक कमरे में आराम कर रहे थे। अचानक पुलिस इस कमरे में दाखिल हुई तो कोई भी कुछ नहीं समझ पाया। कमरे में लेटे यह कलाकार कुछ समझ पाते उससे पहले ही पुलिस ने उन्हें लाठियों से पीटना चालू कर दिया। अभिनय करने वाले टेनी मस्ताना और मंडलाधीश राजू को कई लाठियां लगीं। राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान का अभिनय करने वाले कलाकारों को भी लाठियां लगीं। इसके बाद यह कलाकार मौका देखकर इधर-उधर भागे।
कलाकारों का कहना है कि वह पुलिस को बताते रहे कि वह तो रामलीला में अभिनय करते हैं, उनका इस बवाल से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बावजूद पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी।
डीआईजी की रणनीति बेअसर परमपुरवा, रावतपुर अति संवेदनशील इलाके हैं, कई बार सांप्रदायिक संघर्ष हो चुका है फिर पर्याप्त तैयारी क्यों नहीं थी। रावतपुर में शनिवार से शुरू हुआ विवाद रविवार रात तक भी नहीं सुलझाया जा सका। परमपुरवा में भी तीन घंटे से ज्यादा समय तक बवाल होता रहा। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने दशहरा और मुहर्रम जुलूस को हल्के में लिया। पुरानी घटनाओं को नजरअंदाज कर दिया। जिन स्थानों पर बवाल हुआ, वहां पहले भी मुहर्रम और दशहरे के दौरान बवाल होते रहे हैं। इसके साथ ही मकानों की छतों से भारी पथराव किया गया इसलिए तय है कि छतों पर पत्थर इकट्ठा करके रखे गए थे। जूही परमपुरवा में तो सड़कें ईंट-पत्थरों से पटी पड़ी थीं, इतने ईंट-पत्थर एकाएक कहां से आ गए। माना जा रहा है कि साजिश पहले से रच जाती रही लेकिन खुफिया को इसकी भनक तक नहीं लगी।
कहां गई एलआयू टीम, सवालों से घिरी पुलिस
कहां गई एलआयू टीम, सवालों से घिरी पुलिस
खुफिया को पता ही नहीं चला कि शरारती तत्व एक सप्ताह से माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे। इसका प्रमाण छतों से हुआ पथराव है कि शरारती तत्वों ने पत्थर इकट्ठा कर रखे थे। ये भी माना जा रहा है कि कुछ शरारती तत्व वेश बदलकर शोभायात्रा और जुलूसों में भी शामिल हो गए। पुलिस और प्रशासनिक अफसर इसे भांप भी नहीं पाए। डीएम और एसएसपी ने मुहर्रम और दशहरा की सुरक्षा का जो ब्लू प्रिंट तैयार किया, वह फेल हो गया।
शहर में मछरिया, परमपुरवा, मसवानपुर, रावतपुर, परेड, फेथफुलगंज बेहद संवेदनशील इलाके हैं। इन इलाकों में पूर्व में कई बार बवाल हो चुके हैं, लेकिन अफसर इस बार इन इलाकों में फोर्स का वितरण करने में चूक गए। जूही परमपुरवा बवाल फोर्स की कमी से हुआ है। फोर्स के सामने उपद्रवियों ने आगजनी और पथराव किया, लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए। यही हाल रावतपुर में था। वहां पर भी फोर्स की कमी था।