हरदिन हजारों लीटर शराब का होता है कारोबार रूस में दोनों भईयों की चलती थी अपनी सरकार
कानपुर। समाजवादी पार्टी के सरंक्षक
मुलायम सिंह यादव जब यूपी के मुख्यमंत्री थे तब रूरा निवासी रामस्वरूप सिंह उनकी सरकार में मंत्री थे। उम्र बढ़ने और कंधे झुकने के चलते पूर्व मंत्री ने अपनी सियासत पौत्रों को सौंप दी। 2017 के विधानसभा चुनाव में रनिया-अकबरपुर विधानसभा सीट से
अखिलेश यादव ने नीरज सिंह को साइकिल का हैंडिल थमा दिया और चुनाव प्रचार के लिए आए। चुनाव के दौरान सपा उम्मीदवार ने धन, बल के साथ ही मधुशाला वोटर्स तक पहुंचाई, लेकिन जनता बाहुबली नीरज को हरा कमल खिला दिया। हार के बाद भी नीरज और विनय ने कानपुर नगर व देहात में नकली शराब का बदस्तूर करोबार चलाते रहे। पुलिस ने कार्रवाई की तो पैसे के बल पर उन्हें खरीद लिया। यूपी में योगी सरकार बनने के बाद भी दोनों भाई शराब का अवैध करोबार संचालित करते रहे। जिसने मुंह खोलने की जुर्रर की उसकी सांसें बंद कर दी गईं। बात बड़ी तो भाजपा नेताओं से दोनों भाईयों ने संपर्क बनाया और कमाई की मोटी रकम उन तक पहुंचानी शुरू कर दी, जिसके कारण देशी शराब का व्यापार फलता-फूलता रहा।
15 लोगों की मौत के बाद जागा शासन-प्रशासनसजेंडी थानाक्षेत्र के डुलगांव में सरकारी देशी शराब के ठेके से ग्रामीणों ने माधुरी का बोतलें खरीदीं। गांव के बाहर तो कुछ अपने-अपने घरों पर जाकर नशे का लुफ्त उठा रहे थे, तभी एकाएक शराब ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। महज कुछ मिनट के दौरान पूरे गांव के साथ ही आसपास के गांवों में चीख-पुकार मचने लगी। परिजन उन्हें लेकर अस्पताल की ओर निकल पड़े। ुकछ अस्पताल पहुंचने से दम तोड़ तो कुछ की इलाज के दौरान मौत हो गई। सजेंडी थानाक्षेत्र में अकेले 9 लोग काल के गाल में समा गए, वहीं रूरा में छह ग्रामीणों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। कानपुर में जहरीली शराब का सेवन करने से मौत के बारे में जानकार योगी सरकार से लेकर जिला प्रशासन हिल गया। मौके पर डीएम सुरेंद्र सिंह और एसएसपी अखिलेश कुमार पहुंचे। आबकारी सचिव को सीएम ने कानपुर भेजा तो शाम को डिप्टी सीएम
दिनेश शर्मा आ धमके। तीन दिन के अंदर 15 लोगों की मौत के बाद राष्ट्रीय मानव आयोग ने यूपी सरकार से पूरे मामले में रिपोर्ट मांगी है।
कौन हैं विनय और नीरज नीरज समाजवादी पार्टी ग्रामीण के सचिव हैं। साथ ही जिला पंचायत सदस्य की कुर्सी भी इन्हीं के पास है। नीरज के दादा 1977 से लेकर 2016 तक समाजवार्दी पार्टी के साथ मजबूती के साथ खड़े रहे। चौधरी हरमोहन सिंह और रामस्वरूप 80 के दशक से लेकर 2012 तक मुलायम सिंह के दायां और बयां हाथ हुआ करते थे। शहर की सियासत चौधरी हरमोहन सिंह के इशरों पर चलती थी ता ग्रामीण क्षेत्र में रामस्वरूप सिंह की तूती बोलती थी। सपा सरंक्षक मुलायम सिंह जब भी कानपुर आते तो इन दो लोगों से मिलने के लिए खुद जाया करते थे। चुनाव के वक्त दोआब की विधानसभा सीटों पर टिकट यही नेता तय करते थे। चौधरी हरमोहन सिंह के निधन के बाद मुलायम सिंह का कानपुर आना-जाना कम हो गया तो वहीं रामस्वरूप सिंह भी उम्र के आखरी पड़ाव में आने के चलते अपने को घर के अंदर कैद कर लिया। लेकिन अपनी सियासत को जिंदा रखने के लिए पौत्र नीरज को लगा दिया। नीरज को 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवाया और अखिलेश यादव ने यहां आकर प्रचार किया। रूरा में इस परिवार की ही सरकार चलती है। विनय राजनीति के बजाए शराब का कारोबार में संभालने लगा।
लागत कम मुनाफा ज्यादारूरा से लेकर गंगा कटरी के अलावा आसपास के दर्जनों गांवों में विनय के हुक्म पर शराब की अवैध भठ्ठिं आग उगलने लगी। लागत कम मुनाफा ज्यादा देख विनय ं ने इस काले उद्योग में खादी-खाकी को भी शामिल कर लिया। तीनों की तिकड़ी ने शहर को मिलवटी शराब के गढ़ के रूप में तब्दल कर दिया। शासन-प्रशासन की आंख के नीचे यह गोरखधंधा फलता-फूलता रहा, पर किसी ने कार्रवाई की जोहमत नहीं उठाई। जिसके कारण प्रतिवर्ष करीब 300 से 400 करोड़ की जहरीली शराब की खपत सरकारी ठेकों, पान की दुकानों के साथ ही लोगों के घरों में पहुंचाई जाने लगी। सबसे ज्यादा कच्ची शराब बिधनू, सजेंडी, कल्याणपुर, नौबस्ता थानाक्षेत्र अंतर्गत बनाई जाती है। शराब की अवैध फैक्ट्री से हररोज सैकड़ों लीटर शराब, कानपुर देहात, इटावा, कन्नौज, घाटमपुर, बिल्हौर, जहानाबाद और हमीरपुर जिलों में सप्लाई की जाती थी। 2017 में भौंती में पकड़ी गई फैक्ट्री विनय सिंह की बताई गई, लेकिन सत्ता के हनक के चलते वह बच निकला। उस वक्त पुलिस की छानबीन में यह बात भी सामने आई है कि चुनाव में मांग के चलते शहर की सीमा से पहले जगतपुर में हाल ही में यह फैक्ट्री लगाई गई थी। यह फैक्ट्री हाईवे से लगभग आधा किमी ही दूर थी। पुलिस ने यहां से करीब दो हजार लीटर नकली शराब बरामद की थी। यह माल नगर, कानपुर देहात, औरैया, इटावा और जालौन तक जाना था। विनन ने नकली शराब का नेटवर्क कई प्रदेश तक फैला रखा था। विनय इस कारोबार में अधिकतर महिलाओं को लगाए हुए था। वह शराब तैयार करती तो उनके पति शराब सप्लाई करते।
लघु उद्योग में तब्दील गन्ने का मौसम खत्म होते ही महुआ और सड़े गेहूं व जौ से शराब बनाने का काम शुरू हो जाता है। पुलिस व आबकारी विभाग की एक कठपुतली ही हैं क्योंकि कमाई का एक बड़ा हिस्सा तो इन्हीं की झोली में जाता है। विनस बकाएदा इन्हें मिलाकर कई सालों से करोबार चलता आ रहा, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं की। विनय सिंह, तैयार मिलावटी शराब सरकारी ठेकों के साथ ही आसपास इलाकों में फेरी लगा और परचून की दुकान में रख कर खुलेआम बिक्री करवाता रहा। जानकारी होने के बाद भी लघु उद्योग की तरह पनप रहे इस अवैध कारोबार को बंद कराने के लिए कोई
ध्यान नहीं दे रहा। भौती निवासी सुशील दुबे ने बताया कि गंगा कटरी किनारे बसे मोहिद्दीनपुर, गौरी, राधन, अकबरपुर सेंग, भूवैरापुर, आंकिन, नजफगढ़, नारायणपुर, राजापुर, बगहा, रघुनाथपुर और छांजा गांवों में सीजन के हिसाब से कच्ची शराब बनाई जाती है। इन गांवों में शराब माफिया महिलाओं और छात्राओं को मुहंमांगी कीमत देकर शराब बनवाते हैं और फिर खास लोगों की मदद से इनकी आपूर्ति सरकारी दुकानों में की जाती है।
कुछ इस तरह से तैयार होती है शराबज्यादा नशीला बनाने के चक्कर में शराब जहरीली हो जाती है। देशी ठेके में ऐसी शराब की ’मसाला शराब’ के नाम से बिक्री होती है। इसमें दुकानदार मिथाइल, नौसादर, अलप्राक्स, डाइजापाम आदि का मिश्रण मिला देते है। जब यह गलत मात्रा में होता है तो घातक हो जाता है। जैसा कि सचेंडी की घटना में होना बताया जा रहा है। जानकारों ने बताया कि शराब कारोबारी इसे तैयार करने के लिए गुड़ का शीरा, महुआ, बेशरम का पत्ता, नीम की पत्ती आदि को मिलाकर इसे सड़ाने को जमीन में गाड़ दिया जाता है। करीब 10-15 दिन बाद इसे निकालकर भट्टी पर चढ़ाया जाता है। इसके बाद शराब को नशीला बनाने के लिए मिथाइल मिलाया जाता है। मिथाइल न मिलने पर नौसादर या फिर यूरिया या वाशिंग पाउडर मिलाकर शराब तैयार की जाती है। अधिक नशीला बनाने को अलप्राक्स समेत अन्य नशीली गोलियों का घोल भी मिलाया जाता है। मिलावट शराब को सरकारी ठेकों में सप्लाई की जाती है। ठेका संचालक नकली बोतलों में इसे पैक कर दोगुनी रकम वसूलते हैं। ज्यादा नशा होने के चलते पियक्कड़ भी यही शराब की डिमांड करते हैं।