दरअसल कानपुर नगर निगम चुनाव में एक वॉर्ड महिला के लिए आरक्षित होने के बाद वर्तमान पार्षद ने जल्दबाजी में शादी कर डाली और अपनी नई नवेली दुल्हन को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया। पार्षद द्वारा अपनी राजनीतिक विरासत बचाने की ये जुगत आजकल कानपुर में चर्चा का विषय बनी हुई है। आपको बता दें कि तमाम राजनीतिक दलों ने घोषणी की है कि उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय चुनावों में जो सीटें महिलाओं के आरक्षित हुई हैं, उनपर नेताओं की पत्नियों को टिकट नहीं दिया जाएगा बल्कि पार्टी की निष्ठावान महिला कार्यकर्ताओं को उम्मीद्वार बनाया जाएगा। फिर भी कई आरक्षित वॉर्डो में पूर्व पार्षदों की पत्नियां कतार में खड़ी दिख रही हैं। कानपुर के एक पार्षद के सामने अपनी राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती आन खड़ी हुई तो उसने ऐसा तरीका निकाला जो चर्चा का विषय बना हुआ है।
तय तारीख से पहले की शादी- नवाबगंज क्षेत्र के वॉर्ड 43 से पिछला चुनाव समाजवादी पार्टी के राजकिशोर यादव ने जीता था। आगामी 23 नवंबर को उनकी शादी नेहा नाम की लड़की के साथ होनी। शादी के निमंत्रण भी बांटे जा चुके थे, लेकिन तभी नगर निगम चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया। सपा पार्षद राजकिशोर को मालूम हुआ कि कानपुर नगर निगम में 22 नवंबर को मतदान होने हैं। साथ ही एक झटका और ये तब लगा जब उन्हें पता चला कि उनका वॉर्ड महिला कोटे में आरक्षित कर दिया गया है। लेकिन नेता जी हार मानने वालों में से नहीं थे। उन्होंने तरीका निकाला और उसके अनुसार तीन सप्ताह पहले ही 31 अक्टूबर को शादी कर ली विवाह के अगले ही दिन उन्होनें अपनी नई नवेली दुल्हन को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा कर भी दी।
इसी के साथ राजकिशोर ने पार्टी आलाकमान अखिलेश यादव व पार्टी के अन्य वरिष्ट लोगों के सामने टिकट पर दावा ठोंक दिया है। और सपा के सामने अपनी पत्नी को पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार बनाने की मांग रख दी है।