कानपुर सेक्स बाजार का हब बन चुका है। शहर के गली-मोहल्लों में जहां एमबीबीएस पास डॉक्टर्स सेक्स रोगियों का इलाज कर मोटी रकम वसूलते हैं तो वहीं हकीम व वैद्यों के यहां भी सुबह से लेकर रात तक सेक्सरोगी जड़ी बूटी लेने के लिए लाइनों में खड़े रहते हैं। इतना ही नहीं कानपुर के अधिकतर फुटपाथ, चौराहों और रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और टैम्पों स्टैंड के किनारे सेक्स कक इलाज की दुकानें बिना रोक-टोक के चल रही हैं। कानपुर में सेक्सवर्धक दवा का व्यापार करीब पांच सौ करोड़ के पार पहुंच चुका है। खुद डॉक्टर्स चोरी-छिपे दो मुंहवाले सापों को मुहंमागी कीमत देकर खरीदते हैं और उसे मार कर सेक्सवर्धक दवा बनाते हैं। जबकि वन विभाग सहित अन्य संस्थानें जान कर आंख बंद किए हुए हैं।
दो तस्करों को पुलिस ने किया अरेस्ट
चकेरी थानाक्षेत्र स्थित श्ययमनगर इलाके में कुछ दिन पहले बिहार के दो तस्कर पुलिस के हत्थे लगे थे। उनके पास चार दो मुंहवाले सांप बरामद किए था। पुलिस के आला अधिकारियों ने बताया कि पकड़े गए एक सांप का वजन ढाई से तीन किलो है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 3 करोड़ रुपये बताई जा रही है, जबकि कानपुर में इसे करीब 25 लाख में सेक्स के कारोबारी खरीदते हैं। जनाकारों का कहना है कि आषाढ़ से लेकर नवरात्र के बीच दो मुंहवाले सांपों की कीमत में जबरदस्त इजाफा होता है। तस्कर इन्हें बड़े पैमाने पर गुजराज, राजस्थान और मध्यप्रदेश के जंगलों से पकड़ कर कानपुर लाते हैं और करोड़ों कमाते हैं। इसका पूरा नेटवर्क कानपुर के साथ ही अन्य राज्यों में फैला हुआ है। पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ के दौरान कई दवा करोबारियों के नाम भी बताए थे। जिन पर पुलिस नजर बनाए हुए हैं।
जवान रहने के लिए खाते हैं इसका मांस
सेक्स पावर बढ़ाने की रामबाण दवा सेंडबोआ प्रजाति के सांपों की विदेशों में ( ज्यादातर अरब कंट्री में) खासा डिमांड है। इस सांप के जहर से सेक्स पावर बढ़ाने की रामबाण दवा भी बनायी जाती है। इंडोनेशिया और चीन में भी इसका एक बड़ा बाजार है। जहां इस सांप की कीमत वजन के हिसाब से तय किया जाता है। चीन से लेकर गल्फ के देशों तक सेंडबोआ का मांस खाने से होने वाले फायदों से संबंधित कई मिथ हैं। इस सांप का प्रयोग चीन में सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवा बनाने में होता है। इसके साथ ही लोग इसके मांस को भी खाते हैं। खाड़ी के देश में मान्यता है कि इसे खाने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं और आदमी हमेशा जवान बना रहता है। पिछले पांच छह सालों से यह सांप पहले के मुकाबले कम दिखते हैं। जुलाई के मौसम में जब किसान हल लेकर खेत जाता था तो दो मुंहवाले सांप के पैर छूकर आर्शीवाद लेता था। कानपुर के साथ ही आसपास के इलाकों में पहले इस प्रजाति के सांपों की संख्या अच्छी खासी थी, लेकिन आज के वक्त अब यह पूरी तरह से विलुप्त हो गया है।
जितना भारी, उतनी ऊंची कीमत
जानकार बताते हैं कि बोआ का बसेरा सबसे सबसे ज्यादा गुजरात में है। ये गुजरात के सूरत, तापी, वलसाड और वापी के अलावा दादर और नागर हवेली में पाए जाते हैं। इसके अलावा मटमैले रंगों वाला इस सांप का महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश की सीमा, तमिलनाडु और उत्तर-पूर्वी इलाकों के मैदानी और दलदली भागों में भी बसेरा है। कहा जाता है कि बोआ जितना मोटा होगा, उसकी कीमत भी उतनी ज्यादा होगी। पुलिस के मुताबिक बेहद दुर्लभ हो चुके ये सांप तस्करों की दुनिया में वजन के हिसाब से बिकने लगे हैं और बकायादा इनका रेट कॉर्ड भी है। 250 ग्राम का बोआ 2-5 लाख रुपया में, जबकि 500 ग्राम का 8-10 लाख रुपये में बिकता है। एक किलो के बोआ की कीमत एक करोड़ रुपये तक हो सकती है, जबकि दो किलो का बोआ 3-5 करोड़ रुपये में बिकता है।
विलुप्त प्रजातियों की कैटगरी में खड़ा
जू के डॉक्टर आरपी सिंह के मुताबिक कई दवाएं बनाने में रेड सैंड बोआ का इस्तेमाल हो रहा है। चीन, ताइवान, मलेशिया जैसे देशों में इनकी मांग बहुत बढ़ गई है। बोआ न जहरीला होता है, न गुस्सैल। लगभग एक मीटर से ज्यादा लंबे इस सांप की औसत उम्र 15−20 साल तक होती है। बोआ की खासियत है इसकी पूंछ, जो मुंह की तरह दिखती है, इसलिए इसे दोमुंहा सांप भी कहा जाता है। दक्षिण एशिया के कई देशों में इन सांपों को पाला भी जाता है, लेकिन दवाओं और रिसर्च में इनकी जरूरत को देखते हुए बड़ी तादाद में इनका शिकार भी हो रहा है। इस दो मुंह के लिए इस बेजुबान को बहुत तकलीफ दी जाती है और उसकी पूंछ को जलाकर उसमें मोम भरा जाता है और उसे आंखों की शक्ल दी जाती है, ताकि बोआ को दोमुंहा बताया जा सके। शिकारियों ने लालच की इंतेहा में बोआ को विलुप्त प्रजातियों की कैटगरी में खड़ा कर दिया है।