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चाचा शिवपाल पर भारी पड़ रहे अखिलेश, कानपुर-बुंदेलखंड में नहीं टूटी साइकिल

locationकानपुरPublished: Sep 08, 2018 04:40:25 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

एक सप्तात बीत जाने के बाद भी टस के मस नहीं हो रहे सपाई, अखिलेश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे बड़े पदाधिकारी

secular morcha of shivpal yadav is not effective in kanpur-bundelkhand

चाचा शिवपाल पर भारी पड़ रहे अखिलेश, कानपुर-बुंदेलखंड में नहीं टूटी साइकिल

कानपुर। समाजवादी पार्टी में पद नहीं मिलने के चलते पूर्व मंत्री व राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने एक सप्ताह पहले अपने को अगल कर सेक्युलर मोर्चा नामक दल बनाया था। पार्टी बनाए जाने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि कानपुर-बुंदेलखंड के 17 जिलों के अखिलेश से नाराज सपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता शिवपाल के साथ जा सकते हैं, पर ऐसा नहीं हुआ। एक भी नेता ने अखिलेश का साथ नहीं छोड़ा। साथ ही साइकिल यात्रा को सफल बनाने के लिए घरों से निकलें और लोकसभा फतह करने के लिए जुटे हुए हैं। वहीं इस मामले पर मोर्चा के नेताओं का तर्क है कि जल्दबाजी में हल्का कदम नहीं उठाने की रणनीति पर चलकर जल्द बड़ा धमाल मचाएंगे और सामूहिक तौर पर बड़े सियासी लोगों को शामिल कर ताकत दिखाई जाएगी।

सपाई बनाए हुए हैं शिवपाल से दूरी
पिछले दो साल से मुलायम सिंह के परिवार में चली आ रही रार पिछले सप्ताह और बढ़ गई। शिवपाल यादव ने उपेक्षा का आरोप लगाते हुए 29 अगस्त को अखिलेश यादव से अलग होकर सेक्युलर मोर्चा का गठन कर दिया। इसी के बाद चाचा और भजीते के बीच टकरार बढ़ गई। शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के कई नेताओं को शामिल करने के लिए यूपी में अपने सिपहसलाहकार लगा दिए, लेकिन इटावा को छोड़ कर अन्य जिलों में उन्हें कामयाबी नहीं मिली। अधिकांश सपाई अखिलेश यादव के साथ खड़े दिए। शिवपाल ने मोर्चे के गठन के बाद पहली सभा 31 अगस्त को मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना में की। यहां पर शिवपाल के समर्थकों की अच्छी खासी भीड़ दिखी। इससे गदगद शिवपाल ने 2019 में सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान करते हुए, 2022 तक की सियासी रणनीति का खुलासा कर दिया था।

मोर्चे में आने का दिया आमंत्रण
शिवपाल ने इस दौरान एसपी समेत दूसरे दलों की उपेक्षित नेताओं को मोर्चे में आने का खुला निमंत्रण भी दिया था। लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद समाजवादी पार्टी का एक बड़ा नेता शिवपाल के खेमें में अभी तक शामिल नहीं हुआ। मोर्चे गठन के बाद स्वागत करने के लिए या पार्टी के प्रचार के लिए किसी तरह का बैनर-पोस्टर भी देखने को नहीं मिल रहा। कानपुर-बुंदेलखंड के 17 जिलों में सपाई अभी भी अखिलेश यादव के साथ खड़े दिखाई दिए। सियासी हल्कों में माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी की बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में जाने, 2019 में महागठबंधन की संभावना को देखते हुए और शिवपाल को जनता का अधिक समर्थन नहीं मिलता देख लोग आगे नहीं आ रहे हैं। जबकि विधानसभा चुनाव में पार्टी और परिवार में विवाद के चलते दो गुट होने पर एक बड़ा तबका शिवपाल के साथ खड़ा हो गया था। उस वक्त शिवपाल एसपी में काफी ताकतवर थे।

जल्द दिखाएंगे अपनी ताकत
शिवपाल सिंह यादव फैन्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष आशीष चौबे ने बताया मोर्चे की ताकत का पता चंद दिनों में लग जाएगा। उन्होंने कहा, ’हम एक रणनीति के तहत अभी लोगों को शामिल नहीं कर रहे हैं। जल्द सामूहिक तौर पर बड़े चेहरों के साथ मोर्चे का कुनबा बढ़ाएंगे। मोर्चा 2019 के चुनाव में बड़ी ताकत बनकर उभरेगा। चौबे ने बताया कि हमें पता था कि अखिलेश यादव हमारे नेता के साथ किसी भी वक्त राजनीतिक साजिश कर सकते हैं। इसी के चलते हमलोगों ने दो साल पहले शिवपाल फैन्स एसोसिएशन का गठन किया। उत्तर प्रदेश के 60 जिलों में ये फैन्स एसोसिएशन अपने पैर जमा चुकी है। सूबे में एसोसिएशन के पास डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं की फौज है, जो बूथों तक में तैनात है।

आदित्य यादव के हाथों में होगी कमान
चौबे ने बताया कि जब फैन्स एसोसियेशन बना था तो इसके भी जानकारी थी कि आगे चल कर शिवपाल सिंह अलग मोर्चा बनायेगे। जब समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बन गया है तो आज उनके पास बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी मौजूद हैं। लोकसभा चुनाव में हम अपनी ताकत को भी दिखा देगे ,लोकसभा चुनाव से पहले हम बड़ी संख्या में एक कार्यकर्ता बनाने के लिए अभियान की शुरुआत भी करने जा रहे है। जिसमे युवा क्रांति आदित्य यादव हमारे युवा आइकॉन होगें। आदित्य यादव किसानों ,युवाओ की बात करने वाले हमारे नेता हैं। हम उनकी समस्याआें को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को घेरने का भी काम करेंगे। एक साल के भीतर हम प्रदेश में बड़ी ताकत बनकर उभरे है। यह ताकत जुटाने के लिए हमने दिन रात मेहनत की है।

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