उन्होंने कहा कि 18 वर्ष तक बीएसए ऑफिस में दायित्वों का निर्वहन किया। फिर जब कानपुर देहात में जिला व्यायाम शिक्षक के कार्यभार को लेकर ऊहापोह की स्थिति थी। मुझे इसके लिए चुना गया और कार्यभार सौंपा गया। 2002 में जिला व्यायाम शिक्षिका पद पर उनका चयन हो गया। ये उनके लिए सबसे सुनहरा पल था, जो उन्हे आज भी संघर्षों की याद दिलाता है। अपने लक्ष्य मार्ग पर आने के बाद विभागीय व कई तरह के संघर्षों से जूझकर उन्होंने बच्चों को खेल भावना से ऊर्जावान किया। धीरे धीरे ब्लाॅक एवं जिला स्तर पर होने वाले खेलकूद में वो बच्चों की प्रेरणाश्रोत बन गईं। उनके इस लगन व उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें जिले के तत्कालीन डीएम राकेश सिंह के द्वारा पुरस्कृत किया गया। वह स्वयं राष्ट्रीय स्तर पर खों खों व एथलेटिक्स की खिलाड़ी रह चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि बचपन से उनके मन में खेलकूद को लक्ष्य बनाकर कुछ अलग करने और ख्याति पाने की ललक थी। शिक्षा ग्रहण करने के दौरान पिताजी के स्वास्थ खराब होने के चलते कुछ समस्याओं का सामना किया, लेकिन मेरे जुनून ने मुझे हौंसला दिया। इसके लिए समय समय पर मिलने वाले ब्लाॅक, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों ने उन्हें प्रोत्साहित किया है। उन्होंने बताया कि कानपुर में रहकर उनके पति शेयर मार्केट में रुचि रखते हैं। आज इस उपलब्धि के लिए उनका नाम चयनित होने पर उनके व उनके परिवार के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि अगर में लक्ष्य प्राप्ति का जुनून और धैर्यता है तो कोई मंजिल असंभव नहीं है।