कोर्ट में छोटी बेटी के साथ की शादी
मूलरूप से फतेहगढ़ निवासी सिपाही दिलीप कुमार की शादी 11 दिसंबर 2012 को हरदोई के रूपापुर निवासी डॉम्टर बृजपाल की बेटी बबली से हुई थी। डॉक्टर बृजपाल ने बताया कि शादी के बाद दमाद मेरी छोटी बेटी बविता को अपने प्यार का जान में फंसा लिया और वर्ष 2015 में बबली के बेटा होने पर छोटी बेटी बबिता को उसकी देखभाल के लिए कानपुर ले आया। इस दौरान दिलीप उसका शारीरिक शोषण करने लगा। जानकारी होने पर वह बबिता को घर ले गए। जून 2017 में दिलीप ने रूपापुर आकर स्टांप पेपर पर समझौता कर बबिता को भी पत्नी की तरह साथ रखने की बात कही। इन्कार करने पर बबिता को जबरन कानपुर ले आया। जहां दोनों बेटियों को पत्नी की तरह रखने लगा। छोटी बेटी ने जब अपना हक मांगा तो तो उसे छोड़ने की धमकी दी। बेटी ने पुलिस में जाकर शिकायत करने की धमकी दी तो आरोपी दमाद उसे पीटने लगा और सोते वक्त गला घोंटकर निर्मम हत्या कर दी।
दोनों को पत्नी बनाकर रखा
सिपाही दिलीप ने बबली और बविता को बीबी बनाकर सरकारी आवास पर रखता था। बड़ी बेटी ने बविता को छोड़े जाने का दबाव बनाया तो दिलीप ने उसका मुंह बंद करा दिया। इसी बीच बविता ने भी अपना हक मांगना शुरू कर दिया तो सिपाही बुरी तरह से फंस गया। दो बीबीओं में से एक को उसने हटाने का मन बना लिया। सोमवार की रात पहली पत्नी को सिपाही ने बाहर कमरे में सुला दिया और बविता को लेकर दूसरे कमरे में चला गया। मृतका के पिता ने बताया कि जैसे ही बविता सो गई वैसे ही दरिंदे ने उसका गला घोंट दिया। बेटी को मारने के बाद वो रात में ही भाग गया। सुबह जब बड़ी बेटी जगी तो बविता का शव देख उसने पुलिस के साथ हमें जानकारी दी।
जमीन पर पड़ा था बविता का शव
फोरेंसिक टीम को बबिता का शव जमीन पर पड़ा मिला। पंखे पर फंदा नहीं मिला, न ही लटकने के कोई लक्षण थे। आसपास कोई दुपंट्टा या रस्सी भी नहीं थी। गले पर मिला निशान भी फांसी के फंदे जैसा नहीं था। इस पर फोरेंसिक टीम के कहने पर पुलिस ने पैनल से पोस्टमार्टम कराया, जिसमें गला घोंटकर हत्या की बात सामने आई है। घटना के बाद सिपाही ने थाने में बबिता के आत्महत्या करने की जानकारी दी। वहीं पत्नी बबली ने बबिता को दौरे पड़ने और इसी वजह से उसके फांसी लगाने की बात कही। बबिता के पिता बृजपाल का आरोप है कि कानपुर में ही तैनात दिलीप के दारोगा पिता सोनेलाल सब जानते हुए चुप रहे। उनसे भी कई बार गुहार लगाई। अगर वह हस्तक्षेप करते तो बेटी जिंदा होती। बबिता को जबरन ले जाने के बाद दिलीप के खिलाफ कई प्रार्थनापत्र अधिकारियों को दिए, मगर किसी ने नहीं सुना।