बेहद गंभीर हो चुका था केस लक्ष्मीपत सिंघानिया हृदय रोग संस्थान के कार्डियक सर्जन डॉ. नीरज कुमार और उनकी टीम ने फतेहपुर के मेवातगंज निवासी संजय दत्त नाम के मरीज की गंभीर हालत में ऑपरेशन कर जान बचाई। सालों से बीमार चल रहे मरीज संजय दत्त का केस इतना गंभीर हो चुका था कि डॉक्टरों ने बिना देर किये उसे एडमिट किया और तत्काल ऑपरेशन की व्यवस्था की। आखिरकार अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने सफल ऑपरेशन करके मरीज को बचा लिया और गंभीर बीमारी से भी निजात दिलाई।
घंटों चली पत्थर दिल की सर्जरी संजय दत्त का केस कार्डियोलॉजी में जब पहुंचा तो उसकी पेचीदगी समझकर डॉक्टर के भी पसीने छूट गए। ऑपरेशन बेहद कठिन था लेकिन डॉक्टरों ने हिम्मत दिखाई और मरीज का इलाज शुरू कराया। सारी जांच के बाद डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन की तैयारी की और घंटों की सर्जरी के बाद 22 वर्षीय संजय दत्त की जान बचा ली। मरीज की सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. नीरज कुमार, डॉ. नीरज त्रिपाठी और उनके साथ शामिल डॉ. माधुरी प्रियदर्शी शामिल थीं
सालों से थी समस्या आपको बता दें कि संजय दत्त को बीते कई सालों से सीने में दर्द, सांस फूलने के साथ थकान, चलने में दिक्कत, पेट दर्द और बुखार की पांच साल से शिकायत थी। संजय ने कई जगह दिखाया और लंबा इलाज किया, पर कोई भी डॉक्टर उसकी बीमारी नहीं पकड़ सका। जिसके बाद थक हारकर डॉक्टरों ने उसे लक्ष्मीपत सिंघानिया हृदय रोग संस्थान रेफर कर दिया। जहा सर्जन डॉ. नीरज कुमार की ओपीडी में संजय ने दिखाया।
पथरीले कवच ने जकड़ लिया था दिल डॉक्टरों ने केस की गंभीरता को समझते हुए 27 मार्च को संजय को भर्ती करने के बाद उसकी ईको के साथ कुछ दूसरी जांचें कराईं। जिसके बाद संजय की असल बीमारी का पता चल पाया। दरअसल संजय के दिल में ऊपर मांसपेशियों का डेढ़ सेंटीमीटर पथरीला कवच बन चुका था। यह एक झिल्ली के मोटे होने से बनता है। 5 अप्रैल को उसका ऑपरेशन किया गया और इस रोग से छुटकारा मिल पाया। 10 दिन तक डॉक्टरों ने उसे अस्पताल में भर्ती रखा और 15 अप्रैल को सारी जांच के बाद मरीज के स्वस्थ होते ही छुट्टी भी दे दी।