शहर के बाबूपुरवा इलाके में रहने वाले शहीद मेजर सलमान ने जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में ऐसी बहादुरी दिखाई, जिसे लोग आज भी याद करते हैं। बात पांच मई २००५ की है जब वहंा के एक गांव में आतंकवादी छिपे होने की खबर पर मेजर सलमान उसे दबोचने जा पहुंचे। आतंकियों ने मेजर सलमान पर हमला कर दिया। मेजर सलमान ने एक आतंकी को ढेर कर दिया, पर दूसरा भाग निकला। जब मेजर ने उसका पीछा किया तो उसने फायर झोंक दिया और पैर में गोली लगने से वह घायल हो गए। ख्ूान बहने लगा पर वे नहीं रुके और आखिरकार उन्होंने उसे भी ढेर कर दिया।
मेजर सलमान इस मुठभेड़ में गंभीर घायल हुए थे और उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। पर अब उनकी उपेक्षा हो रही है। पिता मुश्ताक खान बताते हैं कि सलमान की शहादत के बाद कई अफसर मिलने तो आए और नौकरी के लिए पत्र भी आया था पर बाद में वह नौकरी किसी और को दे दी गई। दूसरी ओर सरकार ने झकरकटी बस अड्डे का नाम मेजर सलमान के नाम पर कर दिया वह वह केवल कागजों में ही सिमटकर रह गया।
शहर के ही मेजर अविनाश सिंह पर २८ सितंबर २००१ को कश्मीर के डोडा में चार आतंकियों ने अचानक हमला बोल दिया था। पर मेजर अविनाश ने तीन आतंकियों को ढेर कर दिया और चौथे को अधमरा कर दिया। पर इस हमले में मेजर भी शहीद हो गए थे। बर्रा बाईपास पर लगी मेजर अविनाश की प्रतिमा हमें उनकी बहादुरी की याद दिलाती है। शहरवासियों को इन पर गर्व है।