देश में तीन तलाक बिल पास होने के बावजूद तीन तलाक के अब तक ३० मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें तीन में मुकदमा दर्ज हो चुका है, जबकि एक को जेल भेजा गया है। ज्यादातर मामलों में पति पर उत्पीडऩ का आरोप लगाया गया है।
मकनपुर कस्बे में नूरेशना की शादी हैदर से अक्तूबर 2017 में हुई थी। दहेज में कार की मांग को लेकर ससुराल वाले प्रताडि़त करते थे। 18 अगस्त हैदर ने फोन पर तीन तलाक दे दिया। बिल्हौर थाने में केस दर्ज हुआ। इसी तरह चकेरी के विहार गिद्धयाना में भी दहेज के ५० हजार की खातिर तीन तलाक दिया गया तो दूसरी ओर बासमंडी में सामने आए एक मामले में औलाद न होना तीन तलाक की वजह बना।
शहर में लगभग आधा दर्जन शरई अदालते हैं, लेकिन इनमें तीन तलाक का एक भी मामला नहीं आया है। जबकि ज्यादातर मामले आपसी टकराव के ही आए हैं। कुछ मामलों में तलाक की नौबत आने से पहले ही समझाबुझाकर मामला शांत करा दिया गया।
शहर काजी मौलाना आलम रजा नूरी का कहना है कि आपस में टकराव के मामले तो पहले आते थे, अब भी आ रहे हैं। तीन तलाक का एक भी मामला नहीं आया। कुछ मामले पुलिस तक पहुंचे हैं। पता किया गया तो उनमें तलाक की बात थी ही नहीं। आपसी इख्तिलाफ जरूर था। झगड़े के बाद यह पुलिस तक तीन तलाक की शक्ल में पहुंचा।
जमीअत उलमा-ए-हिंद के चीफ काजी दारुल कजा मौलाना मतीनुल हक ओसामा कासिमी का कहना है कि ऐसा डर पहले भी था जो सामने आ रहा है। दारुल कजा में तीन तलाक का कोई मामला लंबे अर्से से नहीं आया है। कानून बनने के बाद जो मामले पुलिस तक पहुंचे हैं उनमें ज्यादातर ‘हथियारÓ के रूप में तीन तलाक के इस्तेमाल के लगते हैं।