scriptमुस्लिम महिलाओं में बड़ा बदलाव, अब शरई कोर्ट के बजाय पुलिस पर ज्यादा यकीन | Shariah court reduces Muslim women trust in triple talaq | Patrika News

मुस्लिम महिलाओं में बड़ा बदलाव, अब शरई कोर्ट के बजाय पुलिस पर ज्यादा यकीन

locationकानपुरPublished: Aug 21, 2019 12:34:05 pm

शरई कोर्ट से न्याय की उम्मीद कमजोर हुई, दारुल कजा में सन्नाटा अब तक सामने आए ३० मामलों में एक को भेजा गया जेल

मुस्लिम महिलाओं में बड़ा बदलाव, अब शरई कोर्ट के बजाय पुलिस पर ज्यादा यकीन

मुस्लिम महिलाओं में बड़ा बदलाव, अब शरई कोर्ट के बजाय पुलिस पर ज्यादा यकीन

कानपुर। तीन तलाक के मामलों में मुस्लिम महिलाओं का शरई कोर्ट से भरोसा उठ गया है, इसलिए अब वे शरई या दारुल कजा में न जाकर अपनी शिकायत पुलिस थानों में करती हैं। जिसके चलते शरई कोर्ट में सन्नाटा पसरा हुआ है। मुस्लिम महिलाओं को अब देश के कानून पर ज्यादा यकीन हो गया है।
अब तक आए ३० मामले
देश में तीन तलाक बिल पास होने के बावजूद तीन तलाक के अब तक ३० मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें तीन में मुकदमा दर्ज हो चुका है, जबकि एक को जेल भेजा गया है। ज्यादातर मामलों में पति पर उत्पीडऩ का आरोप लगाया गया है।
इन वजहों से हो रहा तीन तलाक
मकनपुर कस्बे में नूरेशना की शादी हैदर से अक्तूबर 2017 में हुई थी। दहेज में कार की मांग को लेकर ससुराल वाले प्रताडि़त करते थे। 18 अगस्त हैदर ने फोन पर तीन तलाक दे दिया। बिल्हौर थाने में केस दर्ज हुआ। इसी तरह चकेरी के विहार गिद्धयाना में भी दहेज के ५० हजार की खातिर तीन तलाक दिया गया तो दूसरी ओर बासमंडी में सामने आए एक मामले में औलाद न होना तीन तलाक की वजह बना।
शरई कोर्ट में सन्नाटा
शहर में लगभग आधा दर्जन शरई अदालते हैं, लेकिन इनमें तीन तलाक का एक भी मामला नहीं आया है। जबकि ज्यादातर मामले आपसी टकराव के ही आए हैं। कुछ मामलों में तलाक की नौबत आने से पहले ही समझाबुझाकर मामला शांत करा दिया गया।
झगड़े को दिया तीन तलाक का नाम
शहर काजी मौलाना आलम रजा नूरी का कहना है कि आपस में टकराव के मामले तो पहले आते थे, अब भी आ रहे हैं। तीन तलाक का एक भी मामला नहीं आया। कुछ मामले पुलिस तक पहुंचे हैं। पता किया गया तो उनमें तलाक की बात थी ही नहीं। आपसी इख्तिलाफ जरूर था। झगड़े के बाद यह पुलिस तक तीन तलाक की शक्ल में पहुंचा।
कानून को बनाया जा रहा हथियार
जमीअत उलमा-ए-हिंद के चीफ काजी दारुल कजा मौलाना मतीनुल हक ओसामा कासिमी का कहना है कि ऐसा डर पहले भी था जो सामने आ रहा है। दारुल कजा में तीन तलाक का कोई मामला लंबे अर्से से नहीं आया है। कानून बनने के बाद जो मामले पुलिस तक पहुंचे हैं उनमें ज्यादातर ‘हथियारÓ के रूप में तीन तलाक के इस्तेमाल के लगते हैं।
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