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Sheila Dikshit News रात के डेढ़ बजे घंटाघर चौराहे पर मनचलों से भिड़ गई थी शीला दीक्षित

locationकानपुरPublished: Jul 21, 2019 01:39:30 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

नहीं रही दिल्ली की पूर्वमंत्री शीला दीक्षित, हार्टअटैक के चलते शनिवार को हुई थी मौत, कानपुर से गहरा नाता था और अक्सर तिलकहौल में आकर कांग्रेसियों के साथ मनाती थीं रणनीति।

sheila dikshit life story and cremation live updates

Sheila Dikshit News रात के डेढ़ बजे घंटाघर चौराहे पर मनचलों से भिड़ गई थी शीला दीक्षित

कानपुर। कांग्रेस की कद्दावर नेता व दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की हार्टअटैक के चलते निधन Sheila Dikshit dies due to heart attack हो गया। इसकी खबर जैसे ही देश व प्रदेश में फैली तो शोक की लहर दौड़ पड़ी। कानपुर से लेकर इत्रनगरी में उनके चाहनें वाले रो पड़े। शीला दीक्षित Sheila Dikshit के करीबी कांग्रेसी राजेश श्रीवास्तव (89) निवासी गीतानगर बताते हैं कि शीला दीक्षित Sheila Dikshit निडर महिला और बेदाग नेता थीं। उनके कार्य करने की शैली से जहां पार्टी के नेता लोहा मानते थे तो विरोधी भी उनके कायल थे। बताते हैं, एकबार शीला दीक्षित Sheila Dikshit अपने पति को लखनऊ से कार के जरिए लेकर कानपुर पहुंची। सेंट्रल स्टेशन Kanpur Central Station में जाकर पति को ट्रेन में बैठाया और घंटाघर चौराहे पर वो रास्ता भूल गए। सड़क के किनारे कुछ युवक दिखाई पड़े तो उन्होंने रास्ता पूछा तो मनचलों ने कमेंट करना शुरू कर दिया। वो घबराई नहीं, बल्कि कांस्टेबल को आवाज देकर बुलाया और उन्हें गिरफ्तार करवा थाने भिजवा दिया था।

पति को लेकर पहुंची कानपुर
राजेश श्रीवास्तव बताते हैं कि शीला दीक्षित Sheila Dikshit के पति लखनऊ में तैनात थे। उन्हें सरकारी कार्य के लिए अलीगढ़ जाना था। घर से जब वो रेलवे स्टेशन पहुंचे तो ट्रेन छूट गई थी। उन्होंने शीला दीक्षित को फोनकर बुलाया और कानपुर तक कार के जरिए छोड़ने को कहा। 80 किमी तक कार चलाकर शीला सेंट्रल स्टेशन पहुंची और पति को ट्रेन में बैठाकर बाहर निकलीं। रात के करीब डेढ़ बजे थे। वो लखनऊ जाने का रास्ता भूल गई। सड़क पर खड़े कुछ मनचले उन्हें देख कर कमेंट कर दिया। शीला ने दो युवकों को दबोच लिया और पुलिस के हवाले कर एसपी को फोन लगाया। उन्होंने तुरंत दो पुलिस वालों को शीला के साथ कर दिया। शीला ने उन पुलिस वालों को कार की पिछली सीट पर बैठाया और खुद ड्राइव करती हुई सुबह 5 बजे वापस लखनऊ पहुंचीं थीं।

कानपुर में रहती हैं बहन
शीला दीक्षित Sheila Dikshit का कानपुर से गहरा नाता रहा है। वो कांग्रेसियों के बुलावे पर दौड़ी चली आती थीं और तिलकहॉल में बैठकर उनकी समस्याएं सुनती और तत्काल निराकरण करती हैं। पूर्व मुख्यमंत्री की बहन डबल पुलिया पर रहती हैं और वो उनसे अक्र मिलने के लिए आया करती थीं। 27 साल यूपी बेहाल अभियान में शामिल होने के लिए शीला दीक्षित 2017 में कानपुर आई थीं। उन्होंने जुलूस में हिस्सा लिया और घंटाघर में एक जनसभा को संबोधित किया। रालेश श्रीवासत्व बताते हैं कि शीला दीक्षित अपने पति विनोद दीक्षिज ससुर स्व उमाशंकर दीक्षित मचेंड चैम्बर में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई थीं। लौटते वक्त प्रयागराज एक्सप्रेस में हार्टअटैक से शीला दीक्षित के पति की मौत हो गई थी।

जाने कौन हैं शीला दीक्षित
शीला दीक्षित Sheila Dikshit का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की। उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था। विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे। शीलाजी एक बेटे और एक बेटी की मां हैं। उनके बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली के सांसद रह चुके हैं। शीला दीक्षित 1984 से 89 तक कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं। साथ ही संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं। वह राजीव गांधी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं। शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं।

कन्नौज से सांसद चुनी गई शीला दीक्षित
वर्ष 1984 में कांग्रेस काल में प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लहर में शीला दीक्षित कन्नौज संसदीय सीट से कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरी थीं। उन्होंने प्रतिद्वंद्वी तत्कालीन सांसद छोटे सिंह यादव को 61 हजार 815 वोटों से करारी शिकस्त दी थी। सांसद बनने के बाद उन्होंने कन्नौज में कई विकास कार्य कराए और गांधी परिवार की बेहद खास बन गईं। सांसद बनने के बाद कैबिनेट में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के रूप में कार्य करने का मौका मिला। बाद में शीला दीक्षित प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री भी बनीं। इसके बाद वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित को हार का सामना करना पड़ा। उन्हें जनता दल के प्रत्याशी छोटे सिंह यादव ने करीब 53 हजार 833 वोटों से हराया था।

ससुराल में मिली हार
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की ससुराल उन्नाव में हैं। ट्रेन में सफर के दौरान उनके पति विनोद दीक्षित का देहांत हो गया था। अपने ससुर उमाशंकर दीक्षित की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए शीला दीक्षित पहली बार 1984 में कन्नौज से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं थीं। हालांकि 1989 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बीच कांग्रेस पार्टी में दो फाड़ हो गए थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) का गठन किया था। शीला दीक्षित ने 1996 में कन्नौज के बजाय अपनी ससुराल उन्नाव लोकसभा क्षेत्र से तिवारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उन्हें केवल 11037 वोट मिले थे और वह पांचवें स्थान रही थीं।

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