बकरियों के चलते गई जान
पारा गांव निवासी बीरबल उर्फ गयाप्रसाद पाल (70) रेउना में अपने भाई रामबाबू के साथ रहते थे। दोपहर को वो बकरियों को चराने के लिए मछैला रोड की ओर ले गए थे। यहां एक झाड़ी में बकरियों के जाने के बाद छत्ते में मौजूद मधुमक्खियां भड़क गईं और धावा बोल दिया। मधुमक्खियों ने बीरबल की बकरियों को डंसना शुरू कर दिया, ये देख उसने अपने अंगौछे के जरिए उन पर टूट पड़ा। लेकिन मधुमक्खियों उस पर भारी पड़ गई और उसे डंस लिया। बीरबल के मधुमक्खियों से घिरने की खबर जैसे ग्रामीणों को हुई तो वो आगे और पुआल जलाकर धुआं करके मधुमक्खियों को भगाया। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
–तो बच जाती जान
गांववालों ने बताया कि जिस वक्त मधुमक्खियों ने हमला बोला था यदि बीरबल भाग जाता तो उसकी जान बच जाती। पर उसने अपनी जान की परवाह न करते हुए बकरियों को बचाने के लिए उनसे भिड़ गया। बकरियां तो बच गई लेकिन बीरबल जहरीली मधुमक्खियों का शिकार हो गए। गांववालों का कहना है कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मधुमक्खियों के छत्ते लगे हुए हैं। पिछले साल भी एक किसान की जान जा चुकी है। मधुमक्खियों से मुक्ति दिलाने के लिए जल्द ही वो पुलिस-प्रशासन से मांग करेंगे।
मधुमक्खियों ने हाईवे कर दिया जाम
पड़ोस के बारीगांव के पास सड़क किनारे स्थित पीपल के पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता है। किसी शरारती युवक के पत्थर फेंकने से मधुमक्खियां भड़क गईं। मधुमक्खियों के झुंड ने सड़क से गुजरने वाले बाइक व साइकिल सवारों पर हमला शुरू कर दिया, इससे भगदड़ मच गई। हमले में बाइक और साइकिल सवार दर्जनभर से ज्यादा लोग घायल हो गए। घायलों ने भीतरगांव सीएचसी और निजी अस्पताल में जाकर इलाज कराया। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क के दोनों छोर पर मधुमक्खियों की वजह से साढ़-भीतरगांव मार्ग पर यातायात ठप हो गया। वाहन सवार वैकल्पिक मार्गों से जाने को मजबूर हुए।