उन्होंने कहा पार्टी में साजिश रचने वाले वे लोग हैं, जिनकी समाजवादी पार्टी में कोई सुनवाई नही हो रही है। पार्टी से निकलने के बाद उनके किसी अन्य राजनीतिक पार्टी में जाने की चर्चा पर उन्होंने कहा कि मैं जनसेवक हूँ और अपने कार्यकर्ताओं की सहमति के बिना अभी कोई फैसला नहीं ले सकता हूँ। अगर मेरी कोई गलती थी तो सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जी एक बार गलतियों के बारे में अवगत तो कराते लेकिन उन्होंने न कभी बताया और न ही कभी किसी बात का जिक्र किया। बस एकाएक इस तरह पार्टी से निकाल दिया जैसे किसी मल्टी नेशनल कंपनी के सीईओ हो और मैं कंपनी का कोई मजदूर हूँ। आगे बोले कि राजनीति में ऐसा कभी नही होता है।
इस बीच खजांची के जन्मदिन को लेकर कहा कि मैं तो वहां गया भी नही था और न ही किसी को भेजा था। कुछ लोग खजांची के गांव रांत में गए थे और खजांची को उठाने के प्रयास में पकड़े गए। फिर क्षत्रियों के गांव में पिटाई की गई। इस तरह की हरकतें करने वाले ऐसे लोग राष्ट्रीय अध्यक्ष का अपमान करा रहे हैं। इन लोगों पर कार्यवाही होनी चाहिए थी, लेकिन कार्यवाही हम पर की गई। 1991 में मुलायम सिंह जी के साथ मैनें साथ ही अन्य कुछ लोगों ने सपा पार्टी की स्थापना की थी। आज हम ही अपने घर से निकाल दिए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं से चलती है। अगर हमारे कार्यकर्ता कहते हैं कि सन्यास ले लो तो हम सन्यास भी ले लेंगे और अगर कार्यकर्ता कहेंगे कि चुनाव मैदान में आओ तो चुनाव मैदान में उतरेंगे। कार्यकर्ता कहेंगे कि निर्दलीय लड़ो तो वही होगा। फिलहाल उन्होंने अभी किसी भी दल में जाने से इनकार किया है।