कानपुर

इस वजह दिल्ली के बजाए यूपी में डटे रहे शिवपाल

अब सपा के विकल्प के तौर पर प्रसपा को खड़ा करने के लिए बड़ा दिए कदम, 2022 विधानसभा चुनाव अगला लक्ष्य।

कानपुरJun 18, 2019 / 01:23 am

Vinod Nigam

इस वजह दिल्ली के बजाए यूपी में डटे रहे शिवपाल

कानपुर। मुलायम के परिवार के जितनें भी सदस्य राजनीति में हैं, उनमें से अधिकतर लखनऊ के बजाए संसद में दिखे। पर शिवपाल यादव इकलौते नेता हैं, जिन्होंने जसवंतनगर से बाहर कदम नहीं बड़ाए और उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने को रखा। जिसका परिणाम रहा कि जब उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई तब अधिकतर पुरानें समाजवादी दिग्गज नेता साथ में आ गए। 2017 का विधानसभा हो य 2019 का लोकसभा चुनाव, दोनों अखिलेश यादव को करारी हार उठानी पड़ी। मायावती के साथ गठबंधन भी काम नहीं आया। अब मुलायम सिंह अपने अनुज को फिर से समाजवादी पार्टी में लाने के प्रयास कर रहे हैं, पर शिवपाल सूबे में सपा के विकल्प के तौर पर अपने को देख घर वापसी के बजाए आगे कदम बढ़ा दिए हैं। खुद कानपुर में उन्होंने कहा था कि अब कभी सपा में वापस नहीं जाऊंगा। समाजवाद को हम फिर से खड़ा करेंगे और पिछड़े, दलित, गरीब, मुस्लिमों की आवाज बन नेता जी के सपने को पूरा करेंगे।

 

जमीन से जुड़े रहे शिवपाल
यूपी के सियासी गलियारों में शिवपाल सिंह यादव एक बड़ा नाम हैं। वह यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादवके छोटे भाई हैं। शिवपाल सिंह यादव का जन्म 6 अप्रैल 1955 को इटावा जिले के सैफई में हुआ। उनके पिता सुघर सिंह साधारण किसान थे। शुरुआती पढ़ाई गांव में ही करने के बाद शिवपाल ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई मैनपुरी से की। ग्रेजुएशन इटावा से किया और बीपीएड लखनऊ यूनिवर्सिटी से पूरा किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद शिवपाल की शादी सरला यादव से हुई, उनके दो बच्चे हैं। शिवपाल सिंह यादव की खासियत यह थी कि वह बचपन से ही सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। वह लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाने, थाने और कचहरी में लोगों के काम कराने और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए खूब प्रसिद्ध रहे।

 

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राजनीतिक कॅरियर
शिवपाल 1994 से 1998 के दौरान यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष बने। 1996 में वह जसवंतनगर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े और भारी मतों से जीते। 1996 से लेकर अब तक वह लगातार इस सीट से विधायक हैं। यूपी की मुलायम और अखिलेश सरकार के समय में शिवपाल ने कई अहम मंत्रालयों का जिम्मा संभाला। मुलायम सिंह यादव , जानेश्वर मिश्रा, हरमोहन सिंह जैसे बड़े नेताओं की सभा कराने की जिम्मेदारी शिवपाल के कंधों में हुआ करती थी। मुलायम जब भी आंदोलन करते तो शिवपाल साइकिल के जरिए गांव-गांव जाकर कार्यकर्ताओं को एकजुट कर धरना स्थल तक ले जाया करते थे।

 

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राजनीति के माहिर खिलाड़ी
शिवपाल सिंह यादव को संगठन की राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। सियासी पंडित बताते हैं कि समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाने में शिवपाल का अहम योगदान है। इसलिए सपा के पुराने कार्यकर्ताओं पर शिवपाल की पकड़ बहुत मजबूत है। मुलायम सिंह यादव जब राजनीति में संघर्ष कर रहे थे तब शिवपाल मजबूती से उनके साथ खड़े थे। उन्होंने मुलायम से राजनीति सीखी, लेकिन आज परिस्थितियां कुछ ऐसी हैं कि उनके मुलायम परिवार से संबंध बहुत मधुर नहीं हैं।

 

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2018 में प्रसपा का गठन
भतीजे अखिलेश से मतभेद होने के चलते शिवपाल यादव ने 31 जनवरी 2017 को आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। 28 सितंबर 2018 को उन्होंने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की घोषणा कर दी और अब 2019 के लोकसभा चुनाव में वह सपा नेता रामगोपाल यादव के बेटे और अपने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव के मैदान में उतरें। जनता ने चाचा-भतीजे के बजाए भाजपा के उम्मीदवार को अपना जनप्रतिनिधि चुना।

 

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शिवपाल के बाया हाथ
अखिलेश से मतभेद के बाद सपा में रहते हुए शिवपाल यादव ने फैन्स एसोसिएशन का गठन कर दिया था, जो 2016 से लगातार जमीन पर कार्य कर रहा था। शिवपाल ने अजैय चौबे को फैन्स एसोसिएशन का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। अजय चौबे की गिनती शिवपाल के करीबियों में होती हैं। अजय चौबे ने प्रदेश के 80 75 जिलों में एक लाख से ज्यादा कार्यकर्तां को इसमें जोड़ा। अजय चौबे ने बताया कि हमारा एसोसिएशन बीते तीन वर्षो से शिवपाल सिंह यादव के लिए जमीन तैयार कर रहा था। अब वक्त आ गया है कि पार्टी के लिए दिन रात और पसीना बहाने का। हम संगठन के लिए दिन रात काम कर रहे है और 2022 के विधानसभा में सपा के विकल्प के तौर पर जनता के बीच प्रसपा को खड़ा कर देंगे।

 

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रघुराज शाक्य दाया हांथ
मुलायम सिंह यादव के करीबी और इटावा के पूर्व विधायक रघुराज शाक्स शिवपाल की टीम में दूसरे बड़े नेता हैं। रघुराज शाक्य सपा से 2 बार सांसद और 1 बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने 2017 में विधानसभा चुनाव के समय समाजवादी कुनबे में शुरू हुई रार के बाद समर्थकों संग समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी। कानपुर के प्रभारी रघुराज शाक्य ने कहा कि हमारा अगला टारगेट 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव है। सपा में प्रसपा के विलय पर उन्होंने कहा कि बढ़े हुए कदम वापस नहीं लौटते है। हमारी पार्टी बहुत आगे निकल चुकी है ,हमारा संकल्प समाज की सेवा करना है उसी दिशा में काम कर रहे है। रघुराज शाक्य ने कहा कि सभी कार्यकर्ताओं को संदेश दिया गया है कि वो आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। सभी राजनीतिक दलों को 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रसपा की ताकत का अहसास हो जाएगा।

 

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