Sikandra Assembly Seat पर पिछडा वर्ग के करीब 154129 एवं सामान्य वर्ग के 78233 मतदाता है। वहीं अनुसूचित जाति एवं जनजाति के करीब 57781 मतदाता अपने मतो का प्रयोग करते है। देखा जाये तो अनुसूचित एवं सामान्य वर्ग को मिलाकर अकेले पिछडा वर्ग के मतदाता चुनाव मे भारी पड़ते हैं। इस सीट पर 2012 मे हुये विधानसभा चुनाव मे बहुजन समाज पार्टी से इंद्रपाल सिंह 54482 मत पाकर भाजपा से लड़े देवेंद्र सिंह भोले को 2189 मतो से हराया था। आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर घमासान चुनाव होने का अनुमान है।
इस सीट पर घमासान चुनाव की उम्मीद सिकंदरा सीट पर अभी तक दो बार चुनाव हुए हैं। 2012 में बसपा से इंद्रपाल सिंह जीते। वहीं 2017 में मथुरा पाल बीजेपी से चुनाव जीते। इसके पूर्व यह सीट राजपुर विधानसभा थी। जहां से 1989 और 1991 में निर्दलीय रामस्वरूप वर्मा विधायक चुने गए। 1993 में कांग्रेस से चौधरी नरेंद्र सिंह तो 1996 में पार्टी बदलकर चौधरी नरेंद्र सिंह बसपा से विधायक बने। वहीं 2002 के चुनाव में महेश त्रिवेदी निर्दलीय चुनाव जीते थे। फिर 2007 में बसपा से मिथलेश कटियार जनता द्वारा चुनी गईं। इसके बाद परिसीमन में सिकंदरा सीट होने पर 2012 में बसपा से इंद्रपाल विधायक चुने गए। हालांकि 2022 के चुनाव में कई दावेदार जोर आजमाइश में लगे हैं। इसलिए यहां घमासान चुनाव की उम्मीद है।
सिकंदरा विधानसभा सीट की प्रमुख समस्या सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव पिछड़ेपन के शिकार हैं। यमुना नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों जो बरसात के दिनों में नदी में उफान से दूब जाते हैं। लोग भुखमरी की कगार पर आ जाते हैं। इसके अलावा यहां उतार चढ़ाव के मार्ग होने की वजह से सड़के खस्ताहाल हैं। इसी वजह से शिक्षा का स्तर भी कुछ खास नहीं है। विकास कार्यों से यहां का ग्रामीण क्षेत्र अछूता है।
कुल मतदाता आंकड़ों के मुताबिक सिकंदरा सीट के मतदाता
इस विधानसभा के अंतर्गत विधानसभा चुनाव 2017 के मुताबिक कुल मतदाता 308917 हैं, जो विधायक चुने हैं। वहीं पुरुष मतदाता 129745 हैं तो महिला मतदाताओं की संख्या 179172 है।
किस दल का कौन नेता विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सभी दल सीट को जितना चाहते हैं। इसलिए पार्टियां अपने चुनिंदा प्रत्याशियों पर विचार कर रही हैं। हालांकि बसपा ने लालजी शुक्ला को सिकंदरा सीट से अभी चुना है। वहीं भाजपा, सपा, कांग्रेस ने अभी अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं।