२३ फरवरी को होना था ट्रांसप्लांट
बताया जाता है कि दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में 23 फरवरी को अरुण कुमार को किडनी लगाई जानी थी। इसके लिए वरदान की पत्नी तरन्नुम खान को अरुण कुमार की फर्जी पत्नी प्रभा देवी बनाकर डोनर के रूप में तैयार किया गया था। फर्जी दस्तावेज भी तैयार थे पर इससे पहले कि किडनी ट्रांसप्लांट हो पाती कि एसआईटी के लोगों ने डॉक्टरों को बता दिया कि इस ट्रांसप्लांट की पुलिस को खबर है। जिसके बाद अरुण कुमार की किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हुई और एसआईटी को फोर्टिस अस्पताल के खिलाफ कुछ नहीं मिला।
बताया जाता है कि दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में 23 फरवरी को अरुण कुमार को किडनी लगाई जानी थी। इसके लिए वरदान की पत्नी तरन्नुम खान को अरुण कुमार की फर्जी पत्नी प्रभा देवी बनाकर डोनर के रूप में तैयार किया गया था। फर्जी दस्तावेज भी तैयार थे पर इससे पहले कि किडनी ट्रांसप्लांट हो पाती कि एसआईटी के लोगों ने डॉक्टरों को बता दिया कि इस ट्रांसप्लांट की पुलिस को खबर है। जिसके बाद अरुण कुमार की किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हुई और एसआईटी को फोर्टिस अस्पताल के खिलाफ कुछ नहीं मिला।
परिवार समेत फरार हुई डोनर
एक अन्य मामले में फोर्टिस अस्पताल में अलीगढ़ के तीरख पाल के नाम से किडनी को ट्रांसप्लांट किया गया। उसमें रिसीवर तीरख पाल और उसकी डोनर पत्नी सुशीला चंद्रावती देवी दोनों ही फर्जी निकले। जब पुलिस ने पड़ताल की तो तीरख पाल ने बताया कि उसकी किडनी ट्रांसप्लांट हुई ही नहीं है। पता चला कि बर्रा कर्रही के ठाकुर चौराहा निवासी संजय पाल की पत्नी दुर्गा देवी को डोनर बनाकर उसकी किडनी किसी को तीरख पाल बनाकर ट्रांसप्लांट की गई। पुलिस ने जब संजय पाल और दुर्गा देवी के घर पर गिरफ्तारी को छापेमारी की तो दोनों भाग चुके थे। डोनर को छापेमारी की सूचना पहले ही दे दी थी।
एक अन्य मामले में फोर्टिस अस्पताल में अलीगढ़ के तीरख पाल के नाम से किडनी को ट्रांसप्लांट किया गया। उसमें रिसीवर तीरख पाल और उसकी डोनर पत्नी सुशीला चंद्रावती देवी दोनों ही फर्जी निकले। जब पुलिस ने पड़ताल की तो तीरख पाल ने बताया कि उसकी किडनी ट्रांसप्लांट हुई ही नहीं है। पता चला कि बर्रा कर्रही के ठाकुर चौराहा निवासी संजय पाल की पत्नी दुर्गा देवी को डोनर बनाकर उसकी किडनी किसी को तीरख पाल बनाकर ट्रांसप्लांट की गई। पुलिस ने जब संजय पाल और दुर्गा देवी के घर पर गिरफ्तारी को छापेमारी की तो दोनों भाग चुके थे। डोनर को छापेमारी की सूचना पहले ही दे दी थी।
जमानत में कामयाब हुआ सरगना
एसआईटी ने शुरुआत से ही लापरवाही बरती है। पैसे के आरोपों से घिरी एसआईटी ने किडनी कांड के आरोपियों को राहत देने के लिए लिखापढ़ी भी कमजोर की। इसलिए किडनी कांड के सरगना टी राजकुमार राव को चार्जशीट दाखिल करने से पहले ही जमानत मिल गई। कुछ दिनों बाद ही अन्य मुख्य आरोपी को भी जमानत मिल गई है। एसआईटी की अहम कड़ी बर्रा पुलिस की ओर से 15 मई को कोर्ट में किडनी कांड की चार्जशीट दाखिल की गई थी। इससे पहले ही किडनी कांड का मेन सरगना टी राजकुमार राव 14 मई को ही हाईकोर्ट से जमानत ले आया था। उसी आधार पर 27 मई को गौरव मिश्रा को भी हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।
एसआईटी ने शुरुआत से ही लापरवाही बरती है। पैसे के आरोपों से घिरी एसआईटी ने किडनी कांड के आरोपियों को राहत देने के लिए लिखापढ़ी भी कमजोर की। इसलिए किडनी कांड के सरगना टी राजकुमार राव को चार्जशीट दाखिल करने से पहले ही जमानत मिल गई। कुछ दिनों बाद ही अन्य मुख्य आरोपी को भी जमानत मिल गई है। एसआईटी की अहम कड़ी बर्रा पुलिस की ओर से 15 मई को कोर्ट में किडनी कांड की चार्जशीट दाखिल की गई थी। इससे पहले ही किडनी कांड का मेन सरगना टी राजकुमार राव 14 मई को ही हाईकोर्ट से जमानत ले आया था। उसी आधार पर 27 मई को गौरव मिश्रा को भी हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।