जबकि कानपुर मंडल (Kanpur Mandal) के कमिश्नर ने एक महीने पहले समीक्षा मीटिंग में साफ कहा था कि कोविड के लिहाज से गर्भवती महिलाएं बेहद संवेदनशील हैं। इनका विशेष ध्यान रखा जाए। इसके अलावा आधिकारिक तौर पर इस शरणालय में संक्रमण फैलने के स्रोत का पता नहीं चल सका है। मामले ने तूल तब पकड़ा जब संवासिनी गृह में कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) की संख्या तेजी से बढ़ी। एक के संक्रमित मिलने के बाद जब सभी के सैंपल लिए गए तो 57 संवासिनियां वायरस संक्रमण की चपेट में आ चुकी थीं। सात गर्भवती में पांच पॉजिटिव तो दो की रिपोर्ट निगेटिव आई है। आठ माह की गर्भवती दो किशोरियों को हैलट तो तीन को रामा कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
शेल्टर होम की व्यवस्थाओं पर उठे कई सवाल
राजनीतिक दलों के मोर्चा खोलने के बाद अब शेल्टर होम की व्यवस्थाओं पर कई सवाल उठे हैं। कहा जा रहा है कि संक्रमण के दौर में आखिर गर्भवती लड़कियों (Pregnant Girls) को क्यों अलग नहीं रखा गया। साथ ही शेल्टर होम और स्वास्थ्य प्रशासन ने कैसे अन्य लड़कियों के साथ गर्भवतियों को प्राइवेट आइसोलेशन सेंटर (Private Isolation Center) भेज दिया। शेल्टर होम की क्षमता करीब 100 लड़कियों को रखने की है, लेकिन यहां 171 लड़कियां रहती थीं। बीते 6-7 महीने में आईं कुछ लड़कियों के गर्भवती होने की पूरी जानकारी डीपीओ को थी, लेकिन संक्रमणकाल में इन लड़कियों को अलग रखने का इंतजाम नहीं किया गया।
प्रोबेशन अधिकारी से मांगी गई मेडिकल रिपोर्ट
जिला प्रोबेशन अधिकारी अजित कुमार का कहना है कि सातों पहले से गर्भवती थीं। इस बात की जानकारी थी और उनकी मेडिकल रिपोर्ट भी मौजूद है। इसे अधिकारियों को सौंप दिया गया है। एसपी पश्चिम अनिल कुमार ने बताया कि दो किशोरियों के बारे में यह तय हो चुका है कि वह दाखिल होने से पहले गर्भवती थीं। बाकी पांच की प्रोबेशन अधिकारी से मेडिकल रिपोर्ट मांगी गई है। एसपी ने बताया कि संवासिनी गृह को सील कर दिया गया है। बालिका गृह में उपलब्ध रिकॉर्ड भी सील हैं। यहां के कर्मचारी क्वारंटीन किए गए हैं। ऐसे में पूरा रिकॉर्ड मिलने में काफी दिक्कत और देर हो रही है।
18 साल होने कहीं भी जा सकती हैं किशोरियां
इसके साथ ही बता दें कि बालगृह बालिका में 171 किशोरियां और महिला गृह में 59 महिलाएं रह रही हैं। जब किशोरियां 18 साल की पूरी हो जाती हैं तो उन्हें कोर्ट के सामने पेश किया जाता है। इस दौरान वह बताती हैं कि कहां और किसके पास जाना चाहती हैं। तब कोर्ट के आदेश (Court Order) पर पुलिस अभिरक्षा में उन्हें गंतव्य तक पहुंचा दिया जाता है।