आवेदन ही नहीं किया है, सिर्फ 20 दिन शेष शहर के नर्सिग होम संचालक लाइसेंस नवीनीकरण को लेकर बेपरवाह हैं। कुल मिलाकर 200 नर्सिग होम संचालकों ने नवीनीकरण के लिए अभी तक आवेदन ही नहीं किया है। व्यवस्था के तहत 31 मार्च तक लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हुआ तो सभी नर्सिग होम झोलाछाप की श्रेणी में गिने जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने संचालको को पत्र भेजा है। जिले में कुल 395 नर्सिग होम संचालित हो रहे हैं। इनमें से 275 के लाइसेंस का नवीनीकरण 31 मार्च से पहले होना है। शेष 120 की रिन्यूवल तिथि बाद में है। 28 फरवरी तक केवल 75 नर्सिग होम संचालकों ने ही लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है। स्वास्थ्य विभाग के नियमों के मुताबिक लाइसेंस नवीनीकरण के लिए नर्सिग होम संचालक को दो महीने पहले आवेदन करना चाहिए। व्यवस्था के तहत आवेदन की भी समय सीमा पूरी हो गई लेकिन रिन्यूवल के लिए आवेदन नहीं आए।
अब आवेदन करेंगे तो अप्रैल के बाद मिलेगी मान्यता स्वास्थ्य विभाग के अनुसार यदि सूची में दर्ज 200 नर्सिंग होम्स आजकल में आवेदन करते भी हैं तो भौतिक सत्यापन के लिए पंद्रह दिन का वक्त चाहिए। बगैर भौतिक सत्यापन रिपोर्ट के लाइसेंस नवीनीकरण नहीं किया जा सकता। सीएमओ द्वारा नामित स्वास्थ्य अधिकारी लाइसेंस शर्तो का आकलन कर अपनी रिपोर्ट देते हैं। इसके बाद लाइसेंस रिन्यूवल होता है। कुल मिलाकर एक महीने से ज्यादा का वक्त लगता है। ऐेसे में शहर के 200 नर्सिंग होम का कुछ दिन झोलाछाप की श्रेणी में रहना तय है। इस बारे में कानपुर के सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला का कहना है कि लाइसेंस रिन्यू करने से पहले जांच जरूरी है। वजह यह है कि कई बार नर्सिग होम कागजों में चलते मिले हैं। पूर्व में कुछ पकड़े गए थे। इसके अलावा नर्सिग होम सूचनाएं कुछ देते हैं और वास्तव में वह सूचनाएं धरातल पर सही नहीं उतरती हैं। ऐसे में अधिकारियों से सत्यापन कराना जरूरी होता है। सत्यापन के लिए भी समय चाहिए। पूर्व में दाखिल आवेदनों का 31 मार्च तक सत्यापन का काम पूरा होना चाहिए। उन्होंने कहाकि यदि नर्सिग होम संचालक 31 मार्च तक लाइसेंस रिन्यूवल नहीं करा लेते हैं तो अस्पताल का संचालन अवैध माना जाएगा। विभागीय नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। ई-मेल के जरिए लाइसेंस नवीनीकरण के आवेदन नहीं करने वाले नर्सिग होमों को सूचना भेजी जा रही है।