फैक्ट्री बंद होने से छूट गई नौकरी
मूलरूप फजलगंज थानाक्षेत्र के गुमटीनबंर पांच निवासी अमित तिवारी ने बताया कि वह प्राईवेट नाॅकरी करते थे। लाॅकडाउन के चलते फैक्ट्री बंद हो गई। बैंक में जमापूंजी से बीमार का इलाज करवाया। सारी रकम खर्च हो गई। घर पर रोटी सरकारी राशन से पकती है। देररात मां की हालत गंभीर हुई तो मैंने सरकारी एम्बूलेंस से मदद मांगी। सुबह तक इंतजार किया, पर एम्बूलेंस नहीं आई। प्राईवेट से सपंर्क करने पर उसने दो हजार की मांग कर दी। पैसे नहीं होने के चलते मां को हाथठेले पर लिटाकर बैंक गया और पैसे निकालकर इलाज करवाया।
500 रूपए निकाले
अमित ने बताया कि मां के एकाउंटर में 6 सौ रूपए जमा थे। 500 रूपए निकाले और उसी से इलाज और दवा खरीदी। अमित ने कहा कि कोरोना वायरस से ज्यादा विकराल समस्या बेरोजगारी है। नौकरी चली जाने से हमजैसे सैकड़ों परिवार भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। सरकार ने मजदूर और अन्य कर्मचारियों के लिए कई योजनाएं बनाई, लेकिन अभी तक जमीन पर ठीक से वह नहीं चल रहीं। जिसका खामियाजा हमलोग भुगत रहे हैं।
नहीं मिले पैसे
अमित ने बताया कि उसे श्रृमविभाग की तरह से अभी तक एक पैसा नहीं मिला। लाॅकडाउन के बीच मैं श्रृमविभाग के कार्यालय भी गया और रजिस्ट्रेशन भी करवाया, पर योजना का लाभ नहीं मिला। अमित ने बताया कि पिछले कईदिनों से चूल्हे में सिर्फ दाल के साथ रोटी पक रही है। सरकार से हमारी मांग है कि लाॅकडाउन के बीच बेरोजगार युवकों के लिए अलग से पैसे की व्यवस्था करे, जिससे कि उसे एक वक्त का भोजन मिल सके।