scriptजब बीमार मां को हाथठेले पर लिटाकर लेकर बेटा पहुंचा बैंक | son arrives at bank to withdraw money with sick mother by hand cart | Patrika News

जब बीमार मां को हाथठेले पर लिटाकर लेकर बेटा पहुंचा बैंक

locationकानपुरPublished: Apr 30, 2020 04:32:11 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

पैसे नहीं होने के चलते एम्बूलेंस के बजाए हाथ ठेले पर मां को लिटाकर बेटा पहुंचा बैंक, पेंशन निकाल कर करवाया इलाज।

जब बीमार मां को हाथठेले पर लिटाकर लेकर बेटा पहुंचा बैंक

जब बीमार मां को हाथठेले पर लिटाकर लेकर बेटा पहुंचा बैंक

कानपुर। लॉकडाउन के चलते युवक की नौकरी छूट गई और वह बेरोजगार हो गया। घर में सरकारी राशन के जरिए रोटी-दाल पकती थी। गुरूवार की सुबह अचानक युवक की बीमार मां की हालत गंभीर हो गई। उसने सरकारी एम्बूलेंस को बुलाया पर वह नहीं आई। प्राईवेट एम्बूलेंस से संपर्क किया तो दो हजार की मांग कर दी। पैसे नहीं होने के चलते बेवश बेटा अपनी मां को हाथ ठेले में लिटाकर पहले बैंक गया और विधवा पेंशन निकाल कर फिर प्रंचड गर्मी के बीच उसे लेकर अस्पताल पहुंचा। जहां इलाज के बाद मां की हालत में कुछ सुधार हुआ।

फैक्ट्री बंद होने से छूट गई नौकरी
मूलरूप फजलगंज थानाक्षेत्र के गुमटीनबंर पांच निवासी अमित तिवारी ने बताया कि वह प्राईवेट नाॅकरी करते थे। लाॅकडाउन के चलते फैक्ट्री बंद हो गई। बैंक में जमापूंजी से बीमार का इलाज करवाया। सारी रकम खर्च हो गई। घर पर रोटी सरकारी राशन से पकती है। देररात मां की हालत गंभीर हुई तो मैंने सरकारी एम्बूलेंस से मदद मांगी। सुबह तक इंतजार किया, पर एम्बूलेंस नहीं आई। प्राईवेट से सपंर्क करने पर उसने दो हजार की मांग कर दी। पैसे नहीं होने के चलते मां को हाथठेले पर लिटाकर बैंक गया और पैसे निकालकर इलाज करवाया।

500 रूपए निकाले
अमित ने बताया कि मां के एकाउंटर में 6 सौ रूपए जमा थे। 500 रूपए निकाले और उसी से इलाज और दवा खरीदी। अमित ने कहा कि कोरोना वायरस से ज्यादा विकराल समस्या बेरोजगारी है। नौकरी चली जाने से हमजैसे सैकड़ों परिवार भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। सरकार ने मजदूर और अन्य कर्मचारियों के लिए कई योजनाएं बनाई, लेकिन अभी तक जमीन पर ठीक से वह नहीं चल रहीं। जिसका खामियाजा हमलोग भुगत रहे हैं।

नहीं मिले पैसे
अमित ने बताया कि उसे श्रृमविभाग की तरह से अभी तक एक पैसा नहीं मिला। लाॅकडाउन के बीच मैं श्रृमविभाग के कार्यालय भी गया और रजिस्ट्रेशन भी करवाया, पर योजना का लाभ नहीं मिला। अमित ने बताया कि पिछले कईदिनों से चूल्हे में सिर्फ दाल के साथ रोटी पक रही है। सरकार से हमारी मांग है कि लाॅकडाउन के बीच बेरोजगार युवकों के लिए अलग से पैसे की व्यवस्था करे, जिससे कि उसे एक वक्त का भोजन मिल सके।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो