यूपी में लगभग-लगभग हुआ गठबंधन, इस तरह से तीनों दलों ने सीटों का किया बंटवारा
कानपुर•Aug 04, 2018 / 04:18 pm•
Vinod Nigam
मायावती, अखिलेश और राहुल के बीच दोस्ती, कानपुर-बुंदेलखंड की इन सीटों पर दहाड़ेगा हाथी
कानपुर। पिछले कई दिनों से मायावती, अखिलेश और राहुल गांधी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर माथा-पच्ची चल रही थी। बसपा सूप्रीमो ने अपने वोटर्स के दम पर सूबे में कम से कम 40 सीटों पर चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया था। इसी के बाद तीनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर दरार पड़ गई थी। लेकिन सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के मुताबिक, महागठबंधन न केवल आकार ले चुका है, बल्कि महागठबंधन में शामिल दलों के बीच सीटों का बंटवारा भी हो चुका है। जानकारों की मानें तो सपा, बसपा और कांग्रेस मिशन 2019 को फतह करने व पीएम मोदी के विजयी रथ को रोकने के लिए एक साथ आने का मन बना चुके हैं और सीटों के बंटवारे पर लगभग-लगभग मुहर लग चुकी है। अगर कानपुर-बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों की बात की जाए तो यहां कांग्रेस को दो, सपा चार और बसपा पांच सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
लगभग-लगभग सीटों का बंटवारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयी रथ को रोकने के लिए यूपी के क्षत्रपों के साथ कांग्रेस ने आखिरकार हाथ मिला लिया। तीनों दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर लगभग-लगभग सहमति बन चुकी है। सूत्रों की मानें तो कानपुर-बुंदेलखंड के 17 जिलों की 10 लोकसभा सीटों में से कानपुर नगर व रनियां-अकबरपुर पंजे के खाते में गई हैं। वहीं मिश्रित, फर्रूखाबाद, कन्नौज और इटावा में साइकिल के उम्मीदवार जीत के लिए एड़ी चोटीं का जोर लगाएंगे। जबकि फतेहपुर, बांदा, महोबा, झांसी और जालौन सीट पर हाथी दहाड़ेगा। कांग्रेस नगर अध्यक्ष हरिप्रकाश अग्निहोत्री ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी नफरत और जहर की सियासत करने वालों को हटाने के लिए आगे आए हैं। यूपी में गठबंधन होना तय हैं और इसकी घोषणा सभी दलों के प्रमुख जल्द करेंगे।
हाथी के हवाले बुंदेलखंड
बुंदेलखंड कभी बसपा का सियासी गढ़ रहा है। बादशाह सिंह, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, दद्दू प्रसाद जैसे कद्दावर नेता बसपा सरकार में मंत्री रहे और बुंदेलखंड की सियासी हैसियत के प्रतीक बने रहे। इसके अलावा बुंदेलखंड के कई और चेहरे भी मायावती कैबिनेट का हिस्सा रहे। लेकिन पीएम मोदी की लहर के चलते बुंदेलखंड की सभी 19 विधानसभा और 7 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो गया। लोकसभा चुनाव 2014 और विधानसभा चुनाव 2017 में भारतीय जनता पार्टी को एकतरफा चुनावी नतीजों में सारी सीटें मिली और विपक्षी दलों का पत्ता पूरी तरह साफ़ हो गया था। देश की राजनीति के अखाड़े का प्रमुख केंद्र रहा बुंदेलखंड अब एक बार फिर सियासी दलों की गतिविधियों का केंद्र बनता नजर आ रहा है। बुंदेलखंड के कुल मतदाताओं में दलितों की भागीदारी लगभग 30 प्रतिशत है। इसी के चलते गठबंधन के दोनों दलों ने यहां की सभी सीटें मायावती के हवाले कर दी हैं। करीब 18 लाख दलित और लगभग 6 लाख मुस्लिम मतदाता यहां हार-जीत में अहम रोल निभाता आ रहा है।
मुलायम के गढ़ में दौड़ेगी साइकिल
मुलायम सिंह यादव के गढ़ में कांग्रेस, बसपा के बजाए अखिलेश यादव की साइकिल रफ्तार भरती हुई देखी जा कसती है। यहां की कन्नौज, इटावा, फर्रूखाबाद, मिश्रित सीटें गठबंधन के तहत सपा के खाते में गई हैं। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने बताया कि समाजवादी लोगों का जन्म ही संप्रदायिक ताकतों को देश से बाहर करने के लिए हुआ। खुद नेता जी पूरी जिंदगी इनके खिलाफ लड़ते रहे और वहीं काम अब राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कर रहे हैं। सपा, बसपा व अन्य दल गठबंधन कर पीएम मोदी को 2019 में हरा कर गुजरात के लिए रवाना कर देंगे। 17 जिलों की सभी दसों सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवार जीतेंगे। गठबंधन का ऐलान पहले ही अखिलेश यादव कर चुके हैं और जल्द ही सभी सेकुलवादी पार्टियां एक साथ बैठक कर सीटों का बंटवारा कर लेंगे।
पंजे और कमल के बीच होगी टक्कर
सियासी गलियारे से बाहर निकल कर आई खबर के मुताबिक कानपुर नगर व अकबरपुर-रनियां लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को टिकट मिलना तय हो गया है। 10 विधानसभा क्षेत्रों वाली कानपुर लोकसभा सीट वर्तमान में बीजेपी के पास है, वहीं अकबरपुर से भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले सांसद हैं। जानकारों की मानें तो सपा, बसपा व कांग्रेस के बीच गठबंधन होने पर भाजपा के लिए जीत कठिन हो सकती है। छह लाख ब्राम्हण वोटर्स जीत-हार में अहम रोल निभाता है और पिछले तीन चुनावों में वो बीजेपी के साथ खड़ा रहा है। पर गठबंधन के बाद साढ़े तीन लाख मुस्लिम और इतने ही दलित वोटर्स कमल के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। भाजपा नगर अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी ने कहा कि कानपुर ही नही ंहम यूपी की 75 सीटों पर चुनाव जीतेंगे और देश की बागडोर जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेगी।
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