दरअसल 2012
विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। उस दौरान समाजवादी पार्टी में शिवपाल सिह यादव ने चुनावी कैरम पर गोटियां फिट की थी। उस चुनाव में पूरी जिम्मेदारी शिवपाल सिंह यादव काे दी गई थी। नतीजे आए ताे समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई। अब एक बार फिर समाजवादी पार्टी उसी 2012 के मॉडल काे दोहराने की काेशिश में लगी है।
चर्चाएं हैं कि अब एक बार फिर चुनाव 2022 में अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के आशीर्वाद के साथ चुनाव में मैदान में उतर सकते हैं। यह अलग बात है कि अखिलेश के दूरियां बनाने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी लेकिन अभी भी उन्हे समाजवादी पार्टी का मजबूत स्तंभ माना जाता है। ऐसे में अगर एक बार फिर चाचा-भतीजे चुनाव 2022 में कदम से कदम मिलाकर चलते हैं तो यह तुकबंदी विरोधी पार्टियों के लिए चुनाैती बन सकती है।
2007 में दी थी संजीवनी वर्ष 2007 में सपा बैकफुट पर चल रही थी। उस समय ब्राह्मण वोटरों को एकजुट करके बसपा ने यूपी में चौंकाने वाले नतीजों के साथ सरकार बनाई थी। तब सपा की कमान मुलायम सिंह के हाथों में थी। इसके बाद जब 2012 के विधानसभा चुनाव आए ताे उस समय शिवपाल सिंह ने युवाओं पर फोकस किया और युवा जोश के साथ पार्टी काे मजबूत किया। तब युवा जोश के साथ पार्टी काे बहुमत हांसिल हुआ था। अब अखिलेश यावद और शिवपाल सिंह यादव में दूरियां हैं लेकिन अखिलेश यादव चाचा के पदचिन्हों पर चलकर वर्ष 2012 के चुनाव काे मॉडल के रूप में देखकर उसी नीति से अब चुनाव 2022 काे फतेह करने की तैयारी में जुटे हैं।