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अन्नदाता के लिए मसीहा बनी अखिलेश यादव की ये नेत्री, नाव के जरिए नदिया पार कर खरीद रही सब्जी

locationकानपुरPublished: Apr 09, 2020 04:10:14 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

हरदिन 10 से 15 हजार रूपए देकर शहर ला रही सब्जियां, घर-घर साइकिल के जरिए बांट रहे सपा कार्यकर्ता, यदि जल्द नहीं चेती सरकार को भूख की कगार पर खड़े हो जाएंगे किसान।

अन्नदाता के लिए मसीहा बनी अखिलेश यादव की ये नेत्री, नाव के जरिए नदिया पार कर खरीद रही सब्जी

अन्नदाता के लिए मसीहा बनी अखिलेश यादव की ये नेत्री, नाव के जरिए नदिया पार कर खरीद रही सब्जी

कानपुर। कोरोरा वायरस के चलते देशभर में 21 दिन का लाॅकडाउन चल रहे है। जिसका असर सबसे ज्यादा अन्नदाता पर पड़ रहा है। संकट की घड़ी में किसानों की समाजवादी पार्टी की महिला नेता रचना सिंह मसीहा बनी हुई हैं। वह प्रतिदिन नाव के जरिए गंगा के उस पार जाकर सब्तियों की खरीदारी कर उन्हें शहर लाकर गरीबों तक पहुंचा रही हैं। सपा नेत्री के इस कार्य की सराहना चारोंतरफ हो रही है। पिछले एक सप्ताह के दौरान करीब सवा एक लाख रूपए की सब्जी खरीदकर किसानों के जख्मों में कुछ हद तक मलहम लगा चुकी हैं।

बर्बाद हो रहीं सब्जियां
बिल्हौर विधानसभा प्रभारी सपा नेत्री रचना सिंह ने बताया कि सरकार के लाॅकडाउन की घोषणा के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव छोटे किसानों पर पड़ा है। गंगा के किनारे ककड़ी, खीरा, लौकी, कद्दू करेला और भिंड़ी की फसल ये किसान उगाते हैं। जब फसल तैयार हो जाती है तो उसकी बिक्री के लिए शहर लेकर आते हैं। लेकिन लाॅकडाउन के कारण किसान सब्जियों को नहीं ला पा रहे। जिसके कारण हरदिन 50 से 60 हजार कीमत की सब्जियां बर्बाद हो रही हैं।

10 हजार सब्जियों की खरीदारी
रचना सिंह ने बताया कि जब उन्हें इन किसानों के बारे में पता चला तो पिछले एक सप्ताह से हरदिन मैं नाव के जरिए गंगा के उस पर जाती हूं। किसानों की सब्जियां दस से पंद्रह हजार में खरीदकर उन्हें शहर लेकर आती हूं। इन सब्जियों को सपा कार्यकर्ताओं के जरिए घर-घर लोगों तक पहुंचाती हूं। सपा नेत्री ने बताया कि अभी तक एक लाख से ज्यादा कीमत की सब्जियां खरीदकर किसानों के जख्मों में कुछ हद तक महलम लगाया है। रचना सिंह ने प्रदेश सरकार व जिलाप्रशासन से मांग की है वह गंगा के उस पर कटरी के गांवों के किसानों की तैयार फसलों की खरीदारी करवाएं।

दोहरी मार
रचना सिंह ने कहा कि इस समय जिले में सबसे ज्यादा किसान परेशान है। एक तो उसकी फसल ओलावृष्टि और असमय बरसात से पहले ही चैपट हो गई थी अब लाॅकडाउन में उसकी फसल की समय से कटाई नहीं हो पा रही है। यदि वह अपनी फसल काट भी ले तो बेचे कहां? लॉक डाउन के चलते सरकारी क्रय केन्द्र कहीं खुले नहीं है, आवागमन के रास्ते भी बंद हैं। ऐसी दशा में किसान औने पौने दाम पर क्षेत्रीय आढ़तियों और बिचैलियों को ही फसल बेचने को मजबूर हो रहे हैं।

प्रशासन शहर तक सीमित
रचना सिंह ने प्रदेश रकार की किसान विरोधी नीति के कारण विगत तीन वर्ष में सैकड़ों किसान आत्महत्या कर चुके हैं। पिछले वर्ष बिल्हौर क्षेत्र में आलू की बर्बादी हुई थी। सरकार ने किसानों को मुआवजा देने का ऐलान किया था लेकिन किसी को एक रूपए नहीं मिले। कोरोना वायरस के चलते प्रशासन के अधिकारी सिर्फ शहरों तक अपने को सीमित किए हुए हैं। भाजपा के जनप्रतिनिधि लाॅकडाउन का बहाना कर घर पर बैठे हैं। अभी तक बिल्हौर के विधायक एक दिन भी गंगा के उस पार के गांवों नहीं गए। रचना सिंह ने कहा कि यदि समय पर सरकार कदम नहीं उठाती तो हालात बहुत खराब हो जाएंगे।

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