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मुलायम ने नरेश उत्तम को थमाया था हैंडल, अखिलेश के चाचा ने फूलपुर में दौड़ा दी साइकिल

locationकानपुरPublished: Mar 15, 2018 10:19:43 am

Submitted by:

Vinod Nigam

 
कुर्मी बाहूल्य सीट की मिली जिम्मेदारी, नरेश उत्तम की सटीक रणनीति के तहत भाजपा पराजित

   कुर्मी बाहूल्य सीट की मिली जिम्मेदारी, नरेश उत्तम की सटीक रणनीति के तहत भाजपा पराजित
कानपुर। फूलपुर और गोरखपुर में समाजवादी पार्टी ने भाजपा प्रत्याशियों को लोकसभा उपचुनाव में पराजित कर दिया, जिसके चलते लाल टोपी वाले गदगद हैं। पर इस जीत के पीछे जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का अहम रोल रहा तो डिप्टी सीएम के क्षेत्र में साइकिल दौड़ाने में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की सटीक रणनीति रही। चुनाव से पहले उन्हें फूलपुर की जिम्मेदारी भतीजे अखिलेश ने दी। उन्होंने कुर्मी बाहूल्य सीट पर खुद जमीन पर जाकर पार्टी के लिए सपा के प्रत्याशी के लिए गली-मोहल्लों मे ंप्रचार किया। ख्ुद को कुर्मी समाज के नेता के तौर पर प्रस्तुत कर जनता का दिल में जगह बनाई और जिसका नतीजा यह रहा कि भाजपा के कैंडीडेट को करारी होर उठानी पड़ी। नरेश उत्तम को राजनीति में लाने का श्रेय पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव को जाता है। वह पिछले तीस सालों से यादव परिवार के साथ कंघे से कंघा मिलाकर चलने के साथ कुर्मी बाहूल्य सीटों पर साइकिल को रफ्तार देते आ रहे हैं।
डिप्टी सीएम के गढ़ को ढहाया
उत्तर प्रदेश की दो हाईप्रोॅफाइल लोकसभा सीटों के उपचुनाव के बाद मंगलवार की सुबह से मतगणना शुरू हुई। प्रदेश के साथ ही देश के दिग्गज नेताओं की नजर सीएम योगी के क्षेत्र गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के गढ फूलपुर में टिकी थीं। मतगणना पूरी होने के बाद दोनों सीटों पर साइकिल दौड़ी, और सपाई ख्ुशी से झूम उठे, पर इस जीत में अहम किरदार निभाने वाले कई नेता थे। उन्हीं में से एक और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के मुंहभोले चाचा व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम थे। अखिलेश यादव ने कुर्मी बाहूल्य सीट की बागडोर सांपी। नरेश उत्तम अपने लाव-लश्कर के साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के गृहनगर में उन्हें पटखनी देने के लिए जुट गए। पूर्व सांसद राकेश साचान, पूर्व विधायक मदन गोपाल उमराव, पूर्व मंत्री शिवकुमार बेरिया और कई अन्य नेताओं के साथ फूलपुर में जाकर सपा प्रत्याशी को जिताने के लिए लोगों के घर-घर जाकर वोट मांगे।
लहुरीसरायं के रहने वाले हैं प्रदेश अध्यक्ष
नरेश उत्तम मूलरुप से जहानाबाद विधानसभा के लहुरीमऊ गांव के निवासी हैं। इनके पिता किसानी करते थे और नरेश को पढ़ा लिखाकर कलेक्टर बनाना चाहते थे। पिता के सपने को पूरा करने के लिए नरेश ने इंटरमीडियट जहानाबाद से पास करने के बाद बड़ी बहन के घर किदवई नगर कानपुर आ गए और यहीं से शिक्षा ली। इसी दौरान उन्होंने छात्र राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हो गए और अध्यक्ष भी चुने गए। 1984 में छोटे चौधरी ने नरेश उत्तम की मुलाकात सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह से कराई और यहीं से इनका राजनीतिक करियर शुरु हो गया। नरेश उत्तम 33 साल से यादव परिवार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले जब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच दूरियां बढ़ी तो कुछ हद तक नरेश उत्तम ने उन्हें कम किया। नरेश उत्तम की गिनती मुलायम सिंह सबसे विश्वासपात्र नेताओं में होती है और शिवपाल से भी इनके बेहतर रिश्ते हैं।
मुलायम सरकार में मंत्री रहे
नरेश उत्तम का जन्म भले ही फतेहपुर की जहानाबाद विधानसभा के गांव लहुरीसरांय में हुआ हो,लेकिन छात्र राजनाति का पाठ उन्होंने कानपुर में ही पढ़ा। नौबस्ता के दामोदर नगर में रहने वाले नरेश कानपुर के पीपीएन कॉलेज और डीसी लॉ कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं। फतेहपुर की जहनाबाद विधानसभा सीट से 1985 में चुनाव जीतकर पहली मुलायम सिंह यादव की सरकार में नरेश उत्तम वन राज्यमंत्री बने। धीरे. धीरे उनकी पहचान सपा में कुर्मी नेता के रूप में होने लगी। मुलायम के लोकसभा चुनावों में चाहे वह मैनपुरी हो या सम्भल, सभी जगहों पर कमान उन्हीं के हाथ में रही। आजमगढ़ में भी वह मुलायम के इर्द.गिर्द रहे। दो बार से वह एमएलसी चुने जा रहे हैं। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया।
बेदाग क्षवि, एक भी एफआईआर नहीं
नरेश उत्तम छात्र संगठन से राजनीति में आए, लेकिन कभी कानून को अपने हाथ में नहीं लिया। यूपी सरकार में मंत्री रहे, लेकिन परिवार को अपनी सियासत के इर्द-गिर्द नहीं आने दिया। 33 साल से ज्यादा राजनीतिक कॅरियर के दौरान नरेश उत्तम पर एक भी मामला नहीं दर्ज। नरेश उत्तम की गिनती ईमानदार छवि के नेताओं में जानी जाती है। रेश की पकड़ कुर्मी बेल्ट पर काफी अच्छी मानी जाती है। इसी के चलते पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने रणनीति के तहत नरेश उत्तम की टीम को चुनाव के मैदान में उतारा। सपा की जीत पर नरेश उत्तम ने कहा कि यह जनता की जीत और अहंकारियों की हार है। चुनाव प्रचार के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने गैर जिम्मेदार बयान दिए, जो सरासर गलत थे। राजनीति में हार-जाति होती रहती है, लेकिन शब्दों का मर्यादा नेताओं को बनाए रखना चाहिए। भाजपा की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और आगामी लोकसभा चुनाव में सपा सहित सहयोगी दलों की यहां जीत होगी।

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