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अखिलेश को छोड़ शिवपाल के साथ दिखे सुखराम

locationकानपुरPublished: Dec 09, 2018 06:22:14 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को लखनऊ के रमाबाई आंबेडकर मैदान में रैली कर दिखाई ताकत, कानपुर मंडल से हजारों कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव।

sp mp sukhram singh yadav came to shivpal rally

अखिलेश को छोड़ शिवपाल के साथ दिखे सुखराम

कानपुर। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को लखनऊ के रमाबाई आंबेडकर मैदान में रैली की, जिसमें कानपुर मंडल से करीब डेढ़ लाख लोग शामिल हुए। रैली में जहां मुलायम सिंह यादव ने आकर शिवपाल खेमें को गदगद कर दिया, वहीं सपा के राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव के मंच साझा करने से सपा के अंदर हलचल बढ़ा दी है। सपा सांसद के शिवपाल के साथ आने की अटकलें लग रही थीं। प्रसपा कानपुर मंडल के प्रभारी रघुराज शाक्य ने पत्रिका से खास बातचीत के दौरान कहा कि सुखराम सिंह हमारे साथ हैं। इसके साथ ही रैली में करीब 40 से ज्यादा सपा के पूर्व सांसद-विधायक मौजूद रहे।

नई कसौटी पर उतरा समाजवाद
समाजवादी पार्टी से अगल होकर नया दल बनाने के बाद शिवपाल यादव ने आज रमाबाई मैदान से रैली कर राजनीतिक दलों को अपनी ताकत का एहसास करा दिया। साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी मंच से जनता के बीच अपनी पकड़ की तस्वीर भी दिखा दी। पर आज की सभा में सबसे बड़ा घटनाक्रम सपा सांसद सुखराम सिंह रहे। सपा के गाइड लाइन के विपरीत वो रैली में पहुंचे। खांटी समाजवादी के जामे में सियासत का लंबा सफर तय कर चुके सांसद चौधरी सुखराम सिंह का समाजवाद अब नई कसौटी पर उतर आया है। सैफई कुनबे में चाचा-भतीजे के गरमागरम माहौल में खामोशी से साइकिल चलाते रहे चौधरी के लिए सेक्युलर मोर्चा बनने के बाद अब शायद पुराने रिश्ते-वफाओं को छोड अपने घर शिवपाल को अतिथि बनाने के बाद समर्थकों के बीच खुली पैरोकारी की। फिर रैली में शामिल होकर सपाईयों माथा जरूर ठनका दिया है।

कौन हैं सुखराम सिंह यादव
चौधरी सुखराम सिंह का जन्म 2 जनवरी 1952 को जन्म चौधरी हरमोहन सिंह यादव के घर पर हुआ था। चौधर हरमोहन सिंह समाजसेवा के जरिए राजनीति में आए और सपा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव उन्हें अपना बड़ा भाई मानते थे। चौधरी के हर आदेश को मुलायम सिंह मानते थे और दोआब की कई सीटों पर इन्ही के उम्मीदवारों को टिकट मिलता था। 2012 में अखिलेश के सीएम बनने के बाद दोनों परिवार के बीच मतभेद हो गए। चौधरी हरमोहन के निधन के वक्त अखिलेश यादव उनके पैतृक गांव आए थे। इसी के बाद अखिलेश ने चौधरी परिवार से दूरियां बना लीं, जो विधानसभा चुनाव 2017 तक जारी रही।

पुण्यतिथि पर नया सियासी आगाज
विधान परिषद के सभापति रहे राज्यसभा सदस्य सुखराम यादव व उनके परिवार का आसपास जिलों तक की राजनीति में खासा प्रभाव है। पिता चौ. हरमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि में नए सियासी आगाज का संकेत उन्होंने सेक्युलर मोर्चा गठित करने वाले शिवपाल सिंह यादव को मुख्य अतिथि बनाकर दिया। कुछ चर्चा तो तब शुरू हुई थी। उसके बाद सांसद सुखराम सिंह सेक्युलर मोर्चा के ग्रामीण जिलाध्यक्ष शिवमोहन सिंह चंदेल, देहात जिलाध्यक्ष राजेश कुशवाहा से लेकर पहले ही शिवपाल के हमराह बन चुके सपा ग्रामीण के पूर्व जिला महामंत्री विनोद प्रजापति आदि के साथ घाटमपुर में भ्रमण को निकले। इसके बाद राज्यसभा सांसद ने कहा था कि वो मुलायम सिंह को अपना नेता मानते हैं और उनके आदेश का पालन करेंगे।

प्रसपा के साथ सांसद जी
प्रसपा कानपुर मंडल के प्रभारी रघुराज शाक्य ने बताया कि सांसद जी पहले से ही हमारे साथ थैं और आगे भी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। रही बात सपा की तो अभी शिवपाल यादव भी इसी दल से विधायक हैं। अब अखिलेश यादव चाहें तो उन्हें पार्टी से शिवकुमार बेरिया की तरह बाहर कर दें। जनता की नजर प्रसपा और हमारे नेता पर है। कुछ लोगों को सियासत विरासत के तौर पर मिल जाती है, लेकिन हमलोग जमीन से जुड़े हैं। जनता के लिए जीते और वक्त आने पर पुलिस की लाठियां भी खाते हैं।

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