कानपुर

रॉबिनहुड ने कांग्रेस के प्रस्ताव को ठुकराया, रायबरेली में जाकर इंदिरा को ललकारा

भगवती प्रसाद दीक्षित ने करप्शन पर बोला था हमला, रूबकर इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ा था अलेक्शन, राजीव को विदेशी बता कोर्ट में दायर की याचिका।

कानपुरApr 11, 2019 / 01:04 am

Vinod Nigam

रॉबिनहुड ने कांग्रेस के प्रस्ताव को ठुकराया, रायबरेली में जाकर इंदिरा को ललकारा

कानपुर। जिनके लिए ईमानदारी कपड़ा, सच्चाई थी रोटी और देशभक्ति उनका मकान थी। भ्रष्टाचार के चलते सरकारी नौकरी छोड़ सियासत में कदम रखा और बड़े-बड़े नेताओं के खिलाफ चुनाव के मैदान में उतरे। करप्शन के खात्में के लिए जब इंदिरा गांधी ने कोई जमीनी पहल नहीं की तो राॅबिनहुड (भगवती प्रसाद दीक्षित)घोड़े पर सवार होकर रायबरेली चल पड़े और लोकसभा चुनव के अखाड़े में उतर कर आयरनलेंडी को ललकारा। इंदिरा गांधी इनसे इतना प्रभावित हो गई कि खुद कांग्रेस की ज्वाइन करने के लिए पत्र लिखा। पर दीक्षित ने इंकार कर दिया और इसके चलते उन्हें पागलखाने में कई माह गुजारनें पड़े।

कौन थे भगवती प्रसाद दीक्षित ?
भगवती प्रसाद दीक्षित का जन्म 1927 में कानपुर के भौती गांव में ननिहाल में हुआ था। इंटर मीडयट की पढ़ाई दीक्षित ने डीएवी कॉलेज से की। 1952 में कानपुर डेवलपमेंट बोर्ड में इनकी नौकरी बिल्डिंग अधीक्षक के पद लगी थी। लेकिन यहां पर करप्शन के चलते भगवती जी को आएदिन परेशान किया जाने लगा। उन्होंने झुकनें के बजाए सीधे मुकाबला किया। दीक्षित जी ने बिना नक्शे के बने मकान को गिराने के लिए निकल पड़े। अधिकारियों ने रोका पर वो नहीं मानें और उस बिल्डिंग को गिरवा दिया। इसके बाद इनको झूठे आरोप में फंसा दिया गया। इसी के चलते रॉबिनहुड ने 1958 में नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति के अखाड़े में उतरे।

हार कर भी जीती इमानदार
भगवती प्रसाद दीक्षित को करीब से जानने वाले भौंती गोशाला निवासी आलोक त्रिपाठी बताते हैं कि दीक्षित जी ने 1962 में लोकसभा का पहला चुनाव एसएन बनर्जी के खिलाफ कानपुर में लड़ा था, तब उन्होंने चुनाव में एक भी पैसा खर्च न करते हुए आपने घोड़े पर ही चुनाव प्रचार किया था। जहां भाषण देना होता अपना बाजा बजाते और शुरू हो जाते थे। सैकड़ों लोग दीक्षित जी के भाषण सुननें के लिए जमा होते। इनके ज्वलंतशाील नारों के चलते कांग्रेस के बजाए मजदूर नेता बनर्जी को वोट देकर संसद भेजा। बताते हैं कि दीक्षित ने गांव की प्रधानी से लेकर राष्ट्रपति तक सभी चुनाव लड़े हैं।

इंदिरा गांधी का ठुकरा दिया प्रस्ताव
आलोक बताते हैं भगवती जी रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा। प्रचार के लिए इनके पास घोड़ा और एक छड़ी थी। रायबरली में दीक्षित ने लोगों को आकर्षित किया और इसी के चलते इंदिरा गांधी ने इन्हें कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने का आॅफर दिया। पर भगवती प्रसाद ने उनका यह प्रस्ताव ठुकराते हुए अपने अंदाज में पत्र लिखकर उन्हें बताया कि आपके और आपके पार्टी के विचार हमारे विचार से मेल नहीं खाते। इसलिए मैं किसी भी पार्टी से नहीं जुड़ूंगा। इतना ही नहीं उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ साउथ जाकर चुनाव लड़ा और उनकी हत्या के बाद राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़कर हार गए।

जाना पड़ा था पागलखाने
आलोक बताते हैं, 1961 में ग्रीनपार्क में एक समारोह में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रभान गुप्त मुख्य अतिथि के रूप में आए हुए थे। वो कुछ अधिकारियों के साथ खाना खा रहे थे। उसी बीच दीक्षित वहां पहुंच गए और मुख्यमंत्री को खरी-खरी सुना दी। जिससे उनका परा चढ़ गया। दीक्षित जी को पुलिस के जरिए गिरफ्तार करा आगरा पागलखाने भिजवा दिया। वहां जाते ही उन्होंने जंग छेड़ दी और इसके बाद उनको वहां के अधिकारी ने बकाएदा पागल नहीं होनें का सर्टिफिकेट देकर बिदा किया।

राजीव गांधी के खिलाफ दर्ज किया था केस
भगवती प्रसाद दीक्षित ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा और उनकी भारत की नागरिकता पर सवाल खड़े कर दिए थे और दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल कर दिया। ये केस 3 साल तक चला था। इनका कहना था कि जब राजीव गांधी ने इटली की सोनिया से शादी की है, तो इनको इटली की नागरिकता लेनी चाहिए। इनका भारत के किसी भी प्रदेश से चुनाव लड़ने पर पाबंदी हो जाए। लेकिन बाद में ये मामला खारिज कर दिया गया।

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