ओपीडी में मिलेंगे विशेषज्ञ
कार्डियोलॉजी में प्रत्येक शुक्रवार को ओपीडी शुरू कर दी गई है। इसमें बच्चे जो गम्भीर बीमारियों से पीडि़त हैं उनकी स्क्रीनिंग समय से संभव हो सकेगी। संस्थान ने यह पहल, बच्चों में बढ़ रही दिल की बीमारी के चलते की है। कानपुर और उसके आसपास बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो जन्मजात दिल की बीमारियों से पीडि़त हैं। उनके स्क्रीनिंग का कोई सिस्टम नहीं है।
कार्डियोलॉजी में प्रत्येक शुक्रवार को ओपीडी शुरू कर दी गई है। इसमें बच्चे जो गम्भीर बीमारियों से पीडि़त हैं उनकी स्क्रीनिंग समय से संभव हो सकेगी। संस्थान ने यह पहल, बच्चों में बढ़ रही दिल की बीमारी के चलते की है। कानपुर और उसके आसपास बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो जन्मजात दिल की बीमारियों से पीडि़त हैं। उनके स्क्रीनिंग का कोई सिस्टम नहीं है।
ऑपरेशन की सुविधा पर सर्जन नहीं
संस्थान के अधिकारियों के मुताबिक 16 वर्ष से ऊपर के किशोरों के ऑपरेशन की सुविधा संस्थान में उपलब्ध है पर यहंा बच्चों के हार्ट सर्जन नहीं है। हालांकि जरूरी नहीं है कि सभी बच्चों को ऑपरेशन की ही जरूरत पड़े, अगर दवाओं से बीमारी काबू की जा सकती है तो इलाज यहीं शुरू कर दिया जाता है। जिन बच्चों को ऑपरेशन की जरूरत जांच में निकलकर सामने आती है उन बच्चों को पीजीआई रेफर कर दिया जाता है।
संस्थान के अधिकारियों के मुताबिक 16 वर्ष से ऊपर के किशोरों के ऑपरेशन की सुविधा संस्थान में उपलब्ध है पर यहंा बच्चों के हार्ट सर्जन नहीं है। हालांकि जरूरी नहीं है कि सभी बच्चों को ऑपरेशन की ही जरूरत पड़े, अगर दवाओं से बीमारी काबू की जा सकती है तो इलाज यहीं शुरू कर दिया जाता है। जिन बच्चों को ऑपरेशन की जरूरत जांच में निकलकर सामने आती है उन बच्चों को पीजीआई रेफर कर दिया जाता है।
समय से होगी बीमारी की पहचान
कॉडियोलाजी की ओपीडी में चार डॉक्टरों की टीम रहती है। प्रो. कृष्णा के मुताबिक जिस तरह दिल के रोगी बच्चों की संख्या बढ़ रही है उससे ऐसा किया जाना जरूरी हो गया था। यह सुविधा शुरू होने से बड़ी संख्या में नए मरीजों में दिल की बीमारी की पहचान समय से हो सकेगी है। आयुष्मान लाभार्थियों के लिए चलाई गई ओपीडी में भी बड़ी संख्या में ऑपरेशन वाले मरीज मिले हैं। इनमें 10 वर्ष से कम उम्र के कई बच्चे हैं जिन्हें रेफर किया गया है।
कॉडियोलाजी की ओपीडी में चार डॉक्टरों की टीम रहती है। प्रो. कृष्णा के मुताबिक जिस तरह दिल के रोगी बच्चों की संख्या बढ़ रही है उससे ऐसा किया जाना जरूरी हो गया था। यह सुविधा शुरू होने से बड़ी संख्या में नए मरीजों में दिल की बीमारी की पहचान समय से हो सकेगी है। आयुष्मान लाभार्थियों के लिए चलाई गई ओपीडी में भी बड़ी संख्या में ऑपरेशन वाले मरीज मिले हैं। इनमें 10 वर्ष से कम उम्र के कई बच्चे हैं जिन्हें रेफर किया गया है।