आईआईटी के वरिष्ठ प्रो. ए घटक ने बताया कि इस निडिल को बनाने के लिए मच्छर के डंक की तकनीक का प्रयोग किया गया है। मच्छर किसी का खून चूसने से पहले अपनी नुकीले डंक चुभोता है और खून चूसता है। बावजूद व्यक्ति को कोई दर्द नहीं होता है। मच्छर की इसी तकनीक के आधार पर यह निडिल तैयार की जा रही है। मच्छर भी डंक चुभोने से पहले एक विशेष तरह का तरल पदार्थ छोड़ता है, जिससे त्वचा के उस हिस्से पर हल्का वाइब्रेशन होता है। इसके बाद वह डंक चुभोता है। इस विषय पर वैज्ञानिक भी शोध कर पुष्टि कर चुके हैं।
आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ने ने एक विशेष निडिल बनाने की तकनीक तैयार कर ली है। यह निडिल लोगों के बीच उपयोग के लिए उपलब्ध कराए जाने का प्रयास हो रहा है। इस निडिल से शरीर के किसी भी हिस्से में इंजेक्शन लगाने से कोई दर्द नहीं होगा। इस निडिल को बनाने के लिए विभिन्न प्रयोगों के आधार पर उसकी भौतिकी समझ ली गई है। यह निडिल बिल्कुल मच्छर की डंक की तरह होगी। जैसे मच्छर का डंक शरीर में प्रवेश करता है, ठीक उसी आकार और आकृति की तरह निडिल को तैयार किया जा रहा है।
शरीर के जिस हिस्से पर इंजेक्शन लगाना है, उस हिस्से पर एक विशेष जेल को लगाना होगा, जो पालीएक्रिलमिड का सॉल्यूशन होता है। जेल लगाने के बाद हल्का वाइब्रेशन होता है, जो व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता और दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है। इससे हल्के दर्द का अहसास तक नहीं होता है। प्रो. घटक के अनुसार इस इंजेक्शन के लगाने की प्रक्रिया में साफ-सफाई और प्रशिक्षित व्यक्ति का रहना जरूरी है। अन्यथा इस निडिल का प्रयोग करने के बावजूद दर्द का अहसास होना तय है।