scriptकुम्हार के चाक ने फिर से पकड़ी रफ्तार, मेक-इन-इंडिया से पटा कानपुर बाजार | Stop sale of Chinese goods in Kanpur | Patrika News

कुम्हार के चाक ने फिर से पकड़ी रफ्तार, मेक-इन-इंडिया से पटा कानपुर बाजार

locationकानपुरPublished: Oct 14, 2017 04:10:44 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

कुम्हार के चाक ने फिर से पकड़ी रफ्तार, मेक-इन-इंडिया से पटा कानपुर बाजार

kanpur

kanpur

कानपुर. डोकलाम विवाद के बाद कानपुर के व्यापारियों ने चाइनीज सामानों की बिक्री नहीं करने का ऐलान किया था, जिसका असर इस साल दिवाली के पहले दिख रहा है। पिछले एक दशक से जिन कुम्हारों की चाक की रफ्तार धीमी पड़ गई थी, उसने भी हाईस्पीड पकड़ ली है। काकादेव स्थित करीब दो हजार से ज्यादा कुम्हार समाज के लोग रहते हैं और दिवाली के दिए के जरिए अपना भरण-पोषण करते आ रहे हैं। लेकिन पिछले कई सालों से इनकी दिवाली काली होती आ रही थी और बहुतों ने अपने इस पुश्तैनी काम से किनारा कर लिया था। लेकिन इस साल यहां काफी रौनक बढ़ी है।
रमेश प्रजापति का पूरा परिवार दीया बनाने का काम करता है। उन्हें दीवाली का खास इंतजार रहता है। रमेश कहते हैं कि वो पांचवी पीढ़ी के हैं जो चाक के पहिए को घुमकार रोटी की व्यवस्था करते हैं। डोकलम विवाद के बाद चाइनीज लड़ियों की बिक्री में कमी आई है। इसे के चलते हमारे दियों की बिक्री बढ़ी है।

दियों से जगमग होंगे घर

इस साल चीन के साथ सीमा विवाद के चलते पूरे देश के व्यपारियों और आमलोगों ने चाइनीज समानों की खरीदारी और बिक्री नहीं करने का संकल्प लिया था, जिसका असर इलेक्ट्रानिक्स बाजार के साथ ही कुम्हारों की चाक पर दिख रहा है। काकादेव निवासी रमेश प्रजापति ने बताया कि दीपावली के अवसर पर चाइनीज दिये एवं लाइट ने कुम्हार की चाक में मानो ब्रेक लगा दिया था।
चाइनीज सामानों ने भी इनकी कमर को तोड़ दी थी। आलम यह बन गए कि कुम्हारों का दिया चुकिया निर्माण में मेहनत वाला लागत अब उस अनुरूप नहीं निकलता था। लोगों का अपने इस पुश्तैनी कार्य से मोहभंग हो गया था, लेकिन इस वर्ष दिवाली में पिछले वर्ष के मुकाबले मिट्टी के दिए की बिक्री में इजाफा हुआ है।

कुछ भी कहें, बिक्री में कमी जरूर आई
इस मामले पर व्यापारियों से बात की गई तो उनका कहना है कि सस्ते चीनी सामान का मुकाबला करना आसान नहीं है। रोशनी की लड़ियां हों अथवा तमाम तरह के गिफ्ट आइटम, देवी देवताओं की मूर्तियां या गॉड फिगर हर साल दिवाली से पहले ऐसे ‘चाइनीज’ उत्पादों की बाढ़ आ जाती है। इस साल दिवाली के मौके पर चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान जोरदार तरीके से चला था, जिसका असर भी बाजार में दिख रहा है। रहमानी मार्केट के कारोबारी असलम बेग ने कहा कि कहा कि डोकलाम विवाद के चलते लोगों ने चीन के बने सामान की खरीदारी कम की थी। बेग ने बताया कि इस बार दिवाली पर चीन के सामानों की बिक्री पिछले साल की तुलना में 30 से 40 प्रतिशत कम रहने का अनुमान है।
सिर्फ इंडिया के पटाखे ही बिकेंगे

लड़ियों का कारोबार करने वाले राजेश कुमार कहते हैं कि इस साल पहले नोटबंदी और बाद में जीएसटी की वजह से व्यापारियों ने चीन से काफी आर्डर रद्द किए हैं। डोकलाम विवाद की वजह से भी चाइनीज उत्पादों की बिक्री प्रभावित होने का अनुमान था।
इस साल मेस्टनरोड आतिशबाजी थोक पटाखा बाजार में 16 स्टाल लगाये गये हैं। बाजार में आने वाले पटाखों में इन्डियन ब्रांडेड कलेक्शन की भरमार है। फैंसी आईटम में खासकर बच्चों के लिए खासा कलेक्शन पर नजर डाले तो अंजुम नैयर व शहजादे भाई के स्टाल नम्बर आठ पर जिसमें बच्चों की पसंद का ध्यान रखते हुए चाईना के पटाखों को टक्कर देते हुए ट्राई कलर अनार, जेड फाउन्टेन व किडफस चोईस स्प्लेंडर अनार, हैप्पनेस स्काई व हवा में उड़कर आवाज करती रंग बिरंगी बटर फ्लाई पिछली साल की अपेक्षा इस बार भी खासी मांग है।
प्रशासन ने भी लगाई रोक

पटाखा व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजू शम्सी ने बताया कि इस साल कानपुर में चाइनीज पटाखे नहीं बिकेंगे। सभी स्टालों पर इंकोफ्रंडली ब्रांडेड पटाखे ही बेंचे जा रहे है। एडीएम सिटी धमेंद्र सिंह ले बताया कि पूरे देश में चाइना आईटम के बहिष्कार की मुहिम के चलते कानपुर में भी चाइना के पटाखा पर पिछले वर्ष से ही प्रतिबंन्ध कर दिया गया है। हम इसे नकार नही सकते कि चाइना के उत्पाद बिक्री के लिए भारत एक बड़े बाजार के रूप में उभरा है।
कानपुर प्रशासन ने दिवाली के मौके पर चायनीज पटाखों की बिक्री पर पूर्णता पाबन्दी लगायी है। प्रति वर्ष लगायी जाने वाली इन अस्थाई थोक पटाखों की दुकानों को दिए जाने वाले अस्थाई लाईसेन्स की 33 शर्तों में पहली शर्त यही है कि पटाखे सिर्फ भारतीय होने चाहिये।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो