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Sawan 2019 Kanpur News इस कांजी भाई की जिरह के आगे सिद्धेश्वर महाराज हार गए मुकदमा

locationकानपुरPublished: Jul 25, 2019 12:19:13 am

Submitted by:

Vinod Nigam

सावन के महिने पर किदवईनगर स्थित बाबा मंदिर पर भक्तों ने अनोखे तरीके से किया पूजन-अर्चन और लगाई अदालत।

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Sawan 2019 Kanpur News इस कांजी भाई की जिरह के आगे सिद्धेश्वर महाराज हार गए मुकदमा

कानपुर। सावन के पावन Sawan 2019 in Kanpur माहिने में बम-बम भोले की गूंज से कानपुर सराबोर है तो वहीं शिवालयों Shiv Temple में भक्तों का सुबह से लेकर देररात तक तांता लगा रहता है। फूल, बेलपत्र और दूघ का प्रसाद भगवान शिव को भक्त चढ़ाते हैं पर वहीं किववई नगर स्थित सोटे बाबा मंदिर परिसर में बुधवार को कोर्ट सजी। अक्षय कुमार Akshay Kumar और परेश रावल Paresh Rawal की ओ मॉय गॉड film o moy god की पूरा सीन पर्दे के बजाए सजीव दिखा। यहां एक भक्त वकील कांजी भाई Lawyer kanji Bhae बन मंदिर के पुजारी सिद्धेश्वर महाराज से जिरह की। उनसे प्रश्न पूछे, सही उत्तर नहीं देने पर जज से प्वाइंट नोट करने की अपील की। आखिरी में सिद्धेश्वर महाराज जी मुकदमा हार गए और उन्होंने मंदिर में विस्थापित शिवलिंग में दूध के बजाए जल चढ़ाए जाने के लिए लोगों से अपील की।

हूबहू फिल्म की तरह चला मुकदमा
किइवई नगर Kidvai Nagar kanpur स्थित छोटे बाबा मंदिर में बुधवार को कोर्ट लगी। वकीलों के साथ मुकदमा सुनने के लिए कई लोग विराजमान थे। ओ मॉय गॉड की फिल्म की तरह एक भक्त कांझी भाई के रोल में दिखा। इस अनोखी कोर्ट में में कांजी भाई कोर्ट रूम में जज के सामने सिद्धेश्वर महाराज से जिरह करते हैं, वह उनसे पूछते हैं आपकी मंदिर वाली जगह कितने एकड़ में हैं। सिद्देश्वर महाराज बताते हैं कि 22 एकड़ में, जिसमें 322 छोटे-छोटे मंदिर हैं और इनमें भगवान की सेवा के लिए 142 पुजारी हैं। इसपर कांजी पूछते हैं कि मंदिर में कितना दानपात्र आता है जिसका उत्तर महाराज जी नहीं देते। इसके बाद कुछ देर के लिए कोर्ट स्थगित कर दी जाती है। करीब एक घंटे के बाद कोर्ट में फिर प्रश्न और उत्तर का सिलसिला शुरू होता है।

महाराज जी नहीं दे पाए उत्तर
कांझी भाई मंदिर के पुजारी से पूछते हैं, बाहर भिखारी कितने बैठते हैं, इसका जवाब सिद्देश्वर महाराज नहीं दे पाते हैं। फिर कांजी भाई कहते हैं कि आपके मंदिर के पुजारी ने मुझे बताया कि किसी भी भिखारी को मंदिर के अंदर नहीं आने दिया था, चाहे ठंड हो या बरसात, वो बेचारे बाहर ही सड़ते रहते हैं। पुजारी ने मुझसे कहा आपको आना है तो सोमवार को आइए और शिवजी को एक लोटा दूध चढ़ाइए। इसपर मैं मंदिर में गया तो बहुत सारे लोग लोटा में दूध लेकर लाइन में खड़े थे तो मैने सोचा अंदर कोई होगा दूध पीने वाला। अंदर गया तो कोई नहीं था लोग शिवलिंग पर दूध चढ़ा रहे थे, वहां से वो हजारों लीटर छोटी नाली से बाहर की ओर जा रहा था। मैनें सोचा बाहर तो कोई न कोई जरूर खड़ा होगा दूध पीने वाला, लेकिन बाहर भी कोई नहीं था। वो सारा दूध गटर में जा रहा था, टोटल वेस्ट। इसके बाद मंदिर के पुजारी खामोश हो जाते हैं और कांझी भाई भी कुर्सी पर बैठकर खांसने लगते हैं।

 

फिर शुरू किए प्रश्न
कुछ देर के बाद फिर बहस शुरू होती है। कांझी भाई सिद्धेश्वर महाराज से कहते हैं कि जब मैं बाहर गटर के पास गया तो वहां एक भिखारी खड़ा था, वो चार-पांच दिन का भूखा था शायद। इसी वजह से गटर में बहते दूध को देख रहा था लेकिन गटर का दूध कैसे पीता। इसलिए उस भिखारी को मैने अपना दूध का लोटा दे दिया, उस भिखारी ने पूरा दूध पी लिया और जानते हैं दूध पीकर मुझसे क्या बोल? भगवान तुम्हारा भला करे। फिर मंदिर में बैठे भक्त बम-बम की जयकारे लगाने लगे और रियल लाइफ की फिल्म ओ मॉय गॉड की आखरी सीन खत्म हो गया। प्रांतीय व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु गुप्ता कहते हैं कि इसके जरिए हमनें ये संदेश देने की कोशिश की है कि सावन सहित अन्य पर्व पर दूध से अभिषेक करने की बजाए बाहर गरीबों में उसे बांटा जाए जिससे वो भूखे पेठ न सोएं। कहा, सभी के अंदर भगवान का वास है और जब मानव सेवा होगी तभी सच्ची भक्ति होगी।

इससे प्रसन्न होते हैं भगवान शिव
अभिमन्यु गुप्ता ने कहते हैं, मंदिरों में भगवान शिव का दुग्धाभिषेक किया जा रहा है। शिवलिंग पर चढऩे वाला दूध नालियों में चला जाता है। जहां गरीबों के बच्चे कुपोषण के शिकार हों और दो बूंद दूध के लिए तरसते हों, वहां इस तरह दूध बहाना कतई उचित नहीं है। पुराणों में जिक्र मिलता है कि दूसरों की सेवा, भूखे को भोजन कराने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। इसलिए दुग्धाभिषेक नहीं बल्कि गरीबों को दूध बांटने से शिव प्रसन्न होंगे। कहा की सच्चे मन से ऐसा करने से भगवान शिव कहीं ज्यादा प्रसन्न होंगे, जितना कि दो चार लीटर दूध चढ़ाने से भी नहीं होंगे। शिव भक्ति के लिए मन में सच्ची श्रद्धा और मानव कल्याण की भावना होनी चाहिए।

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