बताते चलें कि कानपुर देहात में पिछले नौ महीने में चटकी पटरियों से एक्सप्रेस ट्रेनें व मालगाड़ियों के निकलने की 7 घटनाएं सामने आने के बाद रेल ट्रैक के निरीक्षण के प्रति जिम्मेदार अभी भी गंभीर नही दिख रहे हैं। जबकि दो वर्ष पूर्व जनपद के पुखरायां में हुए इंदौर पटना एक्सप्रेस हादसे ने लोगों का दिल दहला दिया था। कानपुर झांसी रेलमार्ग पर 20 नवंबर 2016 को पुखरायां स्टेशन के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 153 लोगों की मौत हो गयी थी। इसके बाद 28 दिसंबर 2016 को दिल्ली हावड़ा रेलनार्ग पर रूरा रेलवे स्टेशन के पास सियालदह एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से करीब एक सैकड़ा लोग घायल हुए थे। 38 दिन बाद फिर दूसरी बड़ी घटना होने से लोग त्राहिमाम कर उठे थे। हादसे के बाद हुई जांच में अफसरों ने रूरा में खम्भा नं 1060/25 एफ व 1061/1 के पास पटरी क्षतिग्रस्त पाई गई थी। जिसमे इस फ्रैक्चर को ही हादसे की वजह माना गया था।
जिले में 21 जनवरी से अब तक कानपुर झांसी व दिल्ली हावड़ा रेलमार्ग पर चटके ट्रैक से 6 ट्रेनों के धड़धड़ाते हुए निकल जाने के बाद भी लापरवाही थमने का नाम नही ले रही है। ठंड में 24 घंटे रेलवे ट्रैक की निगरानी की व्यवस्था के बाद भी ट्रैक की निगरानी में हुई चूक से शाहपुर झींझक के पास चटकी पटरी से डाउन श्रमशक्ति एक्सप्रेस धड़धड़ाते हुए निकल गयी। हालांकि इससे बड़ा हादसा तो टल गया, यह ट्रैक सवा घंटे बाधित रहा था।