इन युवाओं से पूछताछ के बाद मालूम पड़ा है कि पहले किसी एक छात्र को इस नेटवर्क में जोड़ा जाता था. फिर उसके माध्यम से और छात्रों को इसका हिस्सा बना लिया जाता था. इस तरह से पूरा का पूरा नेटवर्क बनता चला गया. फिलहाल यहां से हैकिंग में ट्रेंड किए गए युवा पूरे देश में वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. पुलिस ने इनकी संख्या 500 के करीब बताई है.
बता दें कि हैकर्स के निशाने पर इंटर और ग्रेजुएशन के छात्र इस वजह से थे, क्योंकि बिना किसी खास मेहनत के बड़ी कमाई के लालच में ये युवा जल्दी आ जाते हैं. घर-परिवार की परवाह किए बिना ये खुलेआम अपने एटीएम कार्ड से फर्जीवाड़ा कर रहे हैं. कुछ ही घंटों में हजारों रुपए मिलने पर ये युवा इस दलदल में फंसते चले जाते हैं.
ये एटीएम हैकर काफी निराले अंदाज में बैंकों को चूना लगाते हैं. ये एटीएम का हुड मास्टर-की से खोलकर स्विच को ऑन-ऑफ कर पैसा निकालते हैं. यानि कि पिन डालने के बाद जैसे ही नोट निकलते हैं, ये एटीएम हुड को दबा देते हैं. नोट तब तक बाहर आ चुके होते हैं, लेकिन हुड दबने के कारण ट्रांजेक्शन निरस्त हो जाता है. मशीन ट्रांजेक्शन डिक्लाइन दिखा देती है और एम-13 और एम-18 कोड आ जाता है. इसका मतलब है कि पैसे निकालने की कोशिश तो हुई पर वह फेल हो गई. पैसे नहीं निकले और खाते से कट गए. अब एक ओर तो इनके हाथों में पैसे आ जाते हैं और दूसरी ओर ये बैंक से ट्रांजेक्शन फेल होने और खाते से बैलेंस कटने की शिकायत कर पैसे वापस भी ले लेते हैं.
आप भी जानकर हैरान हो जाएंगे कि चकेरी में हैकर्स को ट्रेनिंग देने वाला और गिरोह चलाने वाला एटीएम में पैसे डालने वाली कंपनी का एक पूर्व कर्मचारी बताया गया है. पुलिस को उसकी भी तलाश है. एटीएम में पैसे डालते-डालते उसे पूरे सिस्टम की जानकारी हो गई. हैकर्स बनाने के लिए वह बाकायदा क्लास चलाता था.