कोचिंग मंडी में जेईई मेन की तैयारी कराने वाले शिक्षकों की भरमार है। अलग-अलग कोचिंग इंस्टीट्यूट अलग-अलग ढंग से खुद को प्रचारित कर छात्रों को आकर्षित करते हैं। सफल हुए छात्रों को इस तरह से विज्ञापनों में प्रस्तुत किया जाता है कि लगता है बिना कोचिंग किए एक्जाम पास करना संभव ही नहीं है। हर कोचिंग वाला खुद को दूसरे से बेहतर दिखाने की होड़ में रहता है।
कोचिंग संस्थान जेईई मेन की तैयारी के लिए प्रति छात्र ५० से ६० हजार रुपए चार्ज लेते हैं। यह फीस जमा कर पाना हर किसी के वश में नहीं होता। बाहरी छात्रों को तो फीस के साथ हॉस्टल का खर्च भी उठाना पड़ता है। बहुत कम छात्र पहली बार में सफल हो पाते हैं, ऐसे में उन्हें फिर से इतना ही खर्चा करना पड़ता है।
आईआईटी कानपुर की ओर से जारी की गई जेईई मेन २०१८ की रिपोर्ट बताती है कि २०१८ में सेल्फ स्टडी करने वाले ९७२५३ छात्रों ने जेईई २०१८ में पंजीकरण कराया था। इनमें से ४३.५५ प्रतिशत छात्रों ने सफलता पाई है। जबकि कोचिंग जाने वाले पंजीकृत ६०४२० छात्रों में ५२.८९ प्रतिशत छात्र सफल हुए। यानि कोचिंग पढ़कर सफल होने वाले छात्रों का प्रतिशत सेल्फ स्टडी वालों से महज नौ प्रतिशत ज्यादा है।
जेईई मेन और एडवांस में सफल छात्रों में सीबीएसई के आधे से ज्यादा छात्र हैं। २०१८-१९ में सीबीएसई के ७१४०३ छात्रों में ५५.१८ फीसदी सफल रहे। बाकी ४४.८२ छात्र-छात्राएं दूसरे बोर्ड के थे। जिसमें यूपी बोर्ड की स्थिति सबसे खराब है। यूपी बोर्ड से पढ़कर जेईई मेन में ०.९६ छात्र ही सफल हो सके।