ऐसा ही एक ग्राम सभा के गांव डिलवल का है, जहां प्रधान औऱ प्रधान सचिव ने मिलकर गांव में विकास कार्य को छोड़ गांव में 28 लाख की दुकानें बनवा डाली। जिसकी स्वीकृति न ही जिलाधिकारी से ली और न ही मुख्य विकास अधिकारियों से ली। सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी बड़ी रकम अधूरे पड़े निर्माण से पहले ही निकलवा ली गई। जब इस बात की जानकारी जिले के उच्चाधिकारियों को लगी तो उन्होंने इस कि जांच जिला पंचायती राज अधिकारी को सौप दी।
वहीं जब इस मामले को लेकर प्रधान पुत्र अश्वनी चौबे से बात की तो बताया कि मेरे पीछे मेरे विरोधी पड़े हुए हैं। मैने किसी काम को गलत तरीके से नहीं किया है। गांव के विकास को लेकर ही काम कराया है। इस काम के लिए मैंने अलग-अलग दुकानें बनवाई हैं। अगर एक काम को करते हैं। तब जिलाधिकारी से अनुमति ली जाती है। इस मामले को लेकर मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पांडे ने कहा कि इस मामले की जांच (जिला पंचायती राज अधिकारी) डीपीआरओ को दी गई है, जिसकी जांच चल रही है।