लगातार दो बार रहे राज्यसभा सांसद दिल्ली हाई कोर्ट में इनका कार्यकाल साल 1977 से 1979 तक का रहा। साल 1980 से 1993 के दौरान केंद्रीय सरकार के स्टैंडिंग कौंसिल की तरफ से इन्होने सुप्रीम कोर्ट में भी अभ्यास किया। दलित वर्ग से जुड़े होने के चलते उन्होंने कई पदों पर रहकर सेवा दी। भाजपा के पार्टी प्रचारक के रूप में उन्होंने योगदान दिया। 1991 में भाजपा से जुड़े और तीन साल में ही उन्हें राज्यसभा की सदस्यता मिल गई। इस तरह 2006 तक वे लगातार दो बार राज्यसभा सांसद रहे। रामनाथ कोविंद तत्कालिक समय में बिहार राज्य के राज्यपाल रहे, किन्तु इससे पहले ये देश की सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के नेता थे। इन्होने कई तरह की भूमिका में देश में भाग लिया है।
पैतृक गांव के पुश्तैनी घर को भी कर दिया दान इन्होने एक समाज सेवी, एक वकील और एक राज्यसभा सांसद के तौर पर काम करते हुए कमज़ोर तबके के लोगों को हर तरह से लाभ पहुँचाने की कोशिश की। राजनीति में भी इन्होने एक अहम भूमिका निभाई और राज्यसभा में रहते हुए कई पदों पर काम किया। पेट्रोलियम और नेचुरल गैस पर्लिंन्ट्री कमिटी, सोशल जस्टिस और एम्पोवेर्मेंट पार्लियामेंट्री कमेटी, लॉ और जस्टिस पार्लियामेंट्री कमेटी के साथ साथ राज्यसभा चेयरमैन आदि पदों पर भी आते रहे, इन्होने अपना पुश्तैनी मकान अपने गाँव वालों को दान कर दिया, जो अब बारातशाला के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। वहीं इनके राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद मिलने से उनके घर को मिलन केन्द्र के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
25 जुलाई 2017 को ली थी राष्ट्रपति पद की शपथ इसके बाद 19 जून 2017 को देश की सत्ताधारी राजनैतिक पार्टी बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने इनका नाम 17 जुलाई 2017 को होने वाले भारत के राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ से सुझाया था। 20 जुलाई 2017 को चौदवें राष्ट्रपति के रूप में उन्हें निर्वाचित किया गया। 25 जुलाई 2017 को उन्हे शपथ दिलाई गई। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कानपुर देहात का नाम इतिहास में जुड़ गया। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद बीते इन 4 वर्षों में उनका अपने पैतृक गांव परौंख कानपुर देहात में प्रथम आगमन हो रहा है। इस गौरवशाली क्षणों को लेकर उनके परिजनों समेत जिले के लोग अति उत्साहित है। हालांकि इससे पूर्व उनका कानपुर तीन बार आगमन हो चुका है। मगर कानपुर देहात में महामहिम राष्ट्रपति बनकर पहली बार कदम रखेंगे।